संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 54 – “विक्रय की परिभाषा –
“विक्रय” ऐसी कीमत के बदले में स्वामित्व का अंतरण है जो दी जा चुकी हो, या जिसके देने का वचन दिया गया हो या जिसका कोई भाग दे दिया गया हो और किसी भाग के देने का वचन दिया गया हो।
विक्रय कैसे किया जाता है – ऐसा अंतरण एक सौ रुपए और उससे अधिक के मूल्य की मूर्त स्थावर संपत्ति की दशा में; या किसी उत्तर -भोग या अन्य अमूर्त वस्तु की दशा में केवल रजिस्ट्रीकृत लिखत द्वारा किया जा सकता है।
एक सौ रुपए से कम मूल्य की मूर्त स्थावर संपत्ति की दशा में ऐसा अंतरण या तो रजिस्ट्रीकृत लिखत द्वारा या संपत्ति के परिदान द्वारा किया जा सकेगा।
मूर्त स्थावर संपत्ति का परिदान तब हो जाता है जब विक्रेता क्रेता या क्रेता द्वारा निर्दिष्ट व्यक्ति का संपत्ति पर कब्जा करा देता है।
विक्रय संविदा – स्थावर संपत्ति की विक्रय -संविदा वह संविदा है कि उस स्थावर संपत्ति का विक्रय पक्षकारों के बीच हुए निबंधनों पर होगा।
वह स्वत: ऐसी संपत्ति में कोई हित या उस पर कोई भार उत्पन्न नहीं करती।
Section 54 TPA – “Sale” defined-
“Sale” is a transfer of ownership in exchange for a price paid or promised or part-paid and part-promised.
Sale how made.— Such transfer, in the case of tangible immovable property of the value of one hundred rupees and upwards, or in the case of a reversion or other intangible thing, can be made only by a registered instrument.
In the case of tangible immovable property of a value less than one hundred rupees, such transfer may be made either by a registered instrument or by delivery of the property.
Delivery of tangible immovable property takes place when the seller places the buyer, or such person as he directs, in possession of the property.
Contract for sale.— A contract for the sale of immovable property is a contract that a sale of such property shall take place on terms settled between the parties.
It does not, of itself, create any interest in or charge on such property.