संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 111 – पट्टे का पर्यवसान-
स्थावर सम्पत्ति के पट्टे का पर्यवसान हो जाता है-
(क) तद्द्वारा परिसीमित समय के बीत जाने से;
(ख) जहां कि ऐसा समय किसी घटना के घटित होने की शर्त पर परिसीमित है, वहां ऐसी घटना के घटित होने से;
(ग) जहां कि उस सम्पत्ति में पट्टाकर्ता के हित का पर्यवसान किसी घटना के घटित होने पर होता है या उसका व्ययन करने की उसकी शक्ति का विस्तार किसी घटना के घटित होने तक ही है, वहां ऐसी घटना के घटित होने से;
(घ) उस दशा में, जबकि उस सम्पूर्ण सम्पत्ति में पट्टेदार और पट्टाकर्ता के हित एक ही व्यक्ति में एक ही समय में एक ही अधिकार के नाते निहित हो जाते हैं;
(ङ) अभिव्यक्त अभ्यर्पण द्वारा, अर्थात् उस दशा में जबकि पट्टेदार पट्टे के अधीन अपना हित पारस्परिक करार द्वारा पट्टाकर्ता के प्रति छोड़ देता है:
(च) विवक्षित अभ्यर्पण द्वारा,
(छ) समपहरण द्वारा; अर्थात् (1) उस दशा में जब कि पट्टेदार किसी ऐसी अभिव्यक्त शर्त को भंग करता है, जिससे यह उपबंधित है कि उसका भंग होने पर पट्टाकर्ता पुनः प्रवेश कर सकेगा, या (2) उस दशा में, जबकि पट्टेदार किसी अन्य व्यक्ति का हक खड़ा करके या यह दावा करके कि वह स्वयं हकदार है अपनी पट्टेदारी हैसियत का त्याग करता है, या (3) जब कि पट्टेदार दिवालिया न्यायनिर्णीत हो जाता है और पट्टा यह उपबंध करता है कि पट्टाकर्ता ऐसी घटना के घटित होने पर पुनः प्रवेश कर सकेगा, और जब कि ‘उन दशाओं में से किसी में पट्टाकर्ता या उसका अन्तरिती पट्टेदार को पट्टे का पर्यवसान करने के अपने आशय की लिखित सूचना देता है,
(ज) पट्टे का पर्यवसान करने या पट्टे पर दी गई सम्पत्ति को छोड़ देने या छोड़ देने के आशय की एक पक्षकार द्वारा दूसरे पक्षकार को सम्यक् रूप से दी गई सूचना के अवसान पर।
खंड च का दृष्टांत
पट्टाकृत सम्पत्ति का नया पट्टा एक पट्टेदार अपने पट्टाकर्ता से वर्तमान पट्टे के चालू रहने के दौरान प्रभावी होने के लिए प्रतिगृहीत करता है । यह पूर्वोक्त पट्टे का विवक्षित अभ्यर्पण है और उसे पट्टे का तदुपरि पर्यवसान हो जाता है|
Section 111 TPA – Determination of lease –
A lease of immovable property determines–
(a) by efflux of the time limited thereby:
(b) where such time is limited conditionally on the happening of some event–by the happening of such event:
(c) where the interest of the lessor in the property terminates on, or his power to dispose of the same extends only to, the happening of any event–by the happening of such event: संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 111
(d) in case the interests of the lessee and the lessor in the whole of the property become vested at the same time in one person in the same right:
(e) by express surrender; that is to say, in case the lessee yields up his interest under the lease to the lessor, by mutual agreement between them:
(f) by implied surrender:
(g) by forfeiture; that is to say, (1) in case the lessee breaks an express condition which provides that, on breach thereof, the lessor may re-enter 1***; or (2) in case the lessee renounces his character as such by setting up a title in a third person or by claiming title in himself; 2[or (3) the lessee is adjudicated an insolvent and the lease provides that the lessor may re-enter on the happening of such event]; and in 3[any of these cases] the lessor or his transferee 4[gives notice in writing to] the lessee of his intention to determine the lease: संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 111
(h) on the expiration of a notice to determine the lease, or to quit, or of intention to quit, the property leased, duly given by one party to the other.
Illustration to clause (f)
A lessee accepts from his lessor a new lease of the property leased, to take effect during the continuance of the existing lease. This is an implied surrender of the former lease, and such lease determines thereupon. संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 111
1. The words “or the lease shall become void” omitted by Act 20 of 1929, s. 57.
2. Ins. by s. 57, ibid.
3. Subs. by Act 20 of 1929, s. 57, for “either case”.
4. Subs. by s. 57, ibid., for “does some act showing”.