संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 116 – अतिधारण का प्रभाव-
यदि सम्पत्ति का पट्टेदार या उपपट्टेदार पट्टेदार को अनुदत्त पट्टे के पर्यवसान के पश्चात् उस पर अपना कब्जा बनाए रखता है और पट्टाकर्ता या उसका विधिक प्रतिनिधि पट्टेदार या उपपट्टेदार से भाटक प्रतिगृहीत करता है या कब्जा बनाए रखने के लिए अन्यथा उसको अनुमति देता है तो तत्प्रतिकूल करार के अभाव में पट्टा धारा 106 में यथा विनिर्दिष्ट उस प्रयोजन के अनुसार, जिसके लिए सम्पत्ति पट्टे पर दी गई थी, वर्षानुवर्ष या मासानुमास के लिए नवीकृत हो जाता है।
दृष्टांत
(क) क एक गृह ख को पांच वर्ष के लिए पट्टे पर देता है । ख वह गृह को 100 रुपए मासिक भाटक पर उप -पट्टे पर देता है। पांच वर्ष का अवसान हो जाता है किन्तु ग गृह पर कब्जा बनाए रखता है और क को भाटक देता है । ग का पट्टा मासानुमान नवीकृत होता रहता है।
(ख) ख को एक फार्म ग के जीवनपर्यन्त के लिए पट्टे पर देता है। ग की मृत्यु हो जाती है, किन्तु क की अनुमति से ख कब्जा बनाए रखता है । ख का पट्टा वर्षानुवर्ष नवीकृत होता रहता है।
Section 116 TPA – Effect of holding over –
If a lessee or under-lessee of property remains in possession thereof after the determination of the lease granted to the lessee, and the lessor or his legal representative accepts rent from the lessee or under-lessee, or otherwise assents to his continuing in possession, the lease is, in the absence of an agreement to the contrary, renewed from year to year, or from month to month, according to the purpose for which the property is leased, as specified in section 106.
Illustrations
(a) A lets a house to B for five years. B underlets the house to C at a monthly rent of Rs. 100. The five years expire, but C continues in possession of the house and pays the rent to A. C’s lease is renewed from month to month.
(b) A lets a farm to B for the life of C. C dies, but B continues in possession with A’s assent. B’s lease is renewed from year to year.