धारा 47 भारतीय साक्ष्य अधिनियम – हस्तलेख के बारे में राय कब सुसंगत है —
जबकि न्यायालय को राय बनानी हो कि कोई दस्तावेज किस व्यक्ति ने लिखी या हस्ताक्षरित की थी, तब उस व्यक्ति के हस्तलेख से, जिसके द्वारा वह लिखी या हस्ताक्षरित की गई अनुमानित की जाती है, परिचित किसी व्यक्ति की यह राय कि वह उस व्यक्ति द्वारा लिखी या हस्ताक्षरित की गई थी अथवा लिखी या हस्ताक्षरित नहीं की गई थी, सुसंगत तथ्य है।
स्पष्टीकरण – कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के हस्तलेख से परिचित तब कहा जाता है, जब कि उसने उस व्यक्ति को लिखते देखा है या जब कि स्वयं अपने द्वारा या अपने प्राधिकार के अधीन लिखित और उस व्यक्ति को संबोधित दस्तावेज के उत्तर में उस व्यक्ति द्वारा लिखी हुई तात्पर्यित होने वाली दस्तावेजें प्राप्त की हैं, या जबकि कारबार के मामूली अनुक्रम में उस व्यक्ति द्वारा लिखी हुई तात्पर्यित होने वाली दस्तावेजें उसके समक्ष बराबर रखी जाती रही हैं।
दृष्टांत
प्रश्न यह है कि क्या अमुक पत्र लन्दन के एक व्यापारीक के हस्तलेख में है।
ख कलकत्ते में एक व्यापारी है जिसने क को पत्र संबोधित किए हैं तथा उसके द्वारा लिखे हुए तात्पर्यित होने वाले पत्र प्राप्त किए हैं। ग, ख का लिपिक है, जिसका कर्तव्य ख के पत्र-व्यवहार को देखना और फाइल करना था। ख का दलाल घ है जिसके समक्ष क द्वारा लिखे गए तात्पर्यित होने वाले पत्रों को उनके बारे में उससे सलाह करने के लिए ख बराबर रखा करता था। ख, ग और घ की इस प्रश्न पर रायें कि क्या वह पत्र क के हस्तलेख में है सुसंगत हैं, यद्यपि न तो ख ने, न ग ने, न घ ने क को लिखते हुए कभी देखा था।
Section 47 Indian Evidence Act – Opinion as to handwriting, when relevant —
When the Court has to form an opinion as to the person by whom any document was written or signed, the opinion of any person acquainted with the handwriting of the person by whom it is supposed to be written or signed that it was or was not written or signed by that person, is a relevant fact.
Explanation. –– A person is said to be acquainted with the handwriting of another person when he has seen that person write, or when he has received documents purporting to be written by that person in answer to documents written by himself or under his authority and addressed to that person, or when, in the ordinary course of business, documents purporting to be written by that person have been habitually submitted to him. धारा 47 भारतीय साक्ष्य अधिनियम
Illustration
The question is, whether a given letter is in the handwriting of A, a merchant in London.
B is a merchant in Calcutta, who has written letters addressed to A and received letters purporting to be written by him. C, is B’s clerk whose duty to was to examine and file B’s correspondence. D is B’s broker, to whom B habitually submitted the letters purporting to be written by A for the purpose of advising with him thereon. धारा 47 भारतीय साक्ष्य अधिनियम
The opinions of B, C and D on the question whether the letter is in the handwriting of A are relevant, though neither B, C nor D ever saw A write.