धारा 80 भारतीय साक्ष्य अधिनियम – साक्ष्य के अभिलेख के तौर पर पेश की गई दस्तावेजों के बारे में उपधारणा —
जब कभी किसी न्यायालय के समक्ष कोई ऐसी दस्तावेज पेश की जाती है, जिसका किसी न्यायिक कार्यवाही में, या विधि द्वारा ऐसा साक्ष्य लेने के लिए प्राधिकृत किसी ऑफिसर के समक्ष, किसी साक्षी द्वारा दिए गए साक्ष्य या साक्ष्य के किसी भाग का अभिलेख या ज्ञापन होना, अथवा किसी कैदी या अभियुक्त का विधि के अनुसार लिया गया कथन या संस्वीकृति होना तात्पर्यित हो और जिसका किसी न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा या उपर्युक्त जैसे किसी ऑफिसर द्वारा हस्ताक्षरित होना तात्पर्यित हो, तब न्यायालय यह उपधारित करेगा–
कि वह दस्तावेज असली है, कि उन परिस्थितियों के बारे में, जिसके अधीन वह लिया गया था, कोई भी कथन, जिनका उसको हस्ताक्षरित करने वाले व्यक्ति द्वारा किया जाना तात्पर्यित है, सत्य हैं तथा कि ऐसा साक्ष्य, कथन या संस्वीकृति सम्यक् रूप से ली गई थी।
Section 80 Indian Evidence Act – Presumption as to documents produced as record of evidence —
Whenever any document is produced before any Court, purporting to be a record or memorandum of the evidence, or of any part of the evidence, given by a witness in a judicial proceeding or before any officer authorized by law to take such evidence or to be a statement or confession by any prisoner or accused person, taken in accordance with law, and purporting to be signed by any Judge or Magistrate, or by any such officer as aforesaid, the Court shall presume —
that the document is genuine; that any statements as to the circumstances under which it was taken, purporting to be made by the person signing it, are true, and that such evidence, statement or confession was duly taken.