धारा 90 भारतीय साक्ष्य अधिनियम – तीस वर्ष पुरानी दस्तावेजों के बारे में उपधारणा —
जहां कि कोई दस्तावेज, जिसका तीस वर्ष पुरानी होना तात्पर्यित है या साबित किया गया है, ऐसी किसी अभिरक्षा में से, जिसे न्यायालय उस विशिष्ट मामले में उचित समझता है, पेश की गई है, वहां न्यायालय यह उपधारित कर सकेगा कि ऐसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर और उसका हर अन्य भाग, जिसका किसी विशिष्ट व्यक्ति के हस्तलेख में होना तात्पर्यित है, उस व्यक्ति के हस्तलेख में है, और निष्पादित या अनुप्रमाणित दस्तावेज होने की दशा में यह उपधारित कर सकेगा कि वह उन व्यक्तियों द्वारा सम्यक् रूप से निष्पादित और अनुप्रमाणित की गई थी जिनके द्वारा उसका निष्पादित और अनुप्रमाणित होना तात्पर्यित है।
स्पष्टीकरण — दस्तावेजों का उचित अभिरक्षा में होना कहा जाता है, यदि वे ऐसे स्थान में और उस व्यक्ति की देख-रेख में है, जहां और जिसके पास वे प्रकृत्या होनी चाहिए, किन्तु कोई भी अभिरक्षा अनुचित नहीं है, यदि यह साबित कर दिया जाए कि अभिरक्षा का उद्गम विधिसम्मत था या यदि उस विशिष्ट मामले की परिस्थितियां ऐसी हों, जिनसे ऐसा उद्गम अधिसंभाव्य हो जाता है।
यह स्पष्टीकरण धारा 81 को भी लागू है|
दृष्टांत
(क) क भू-संपत्ति पर दीर्घकाल से कब्जा रखता आया है। वह उस भूमि संबंधी विलेख, जिनसे उस भूमि पर उसका हक दर्शित होता है, अपनी अभिरक्षा में से पेश करता है। यह अभिरक्षा उचित है।
(ख) क उस भू-संपत्ति से संबद्ध विलेख, जिसका वह बंधकदार है, पेश करता है। बंधककर्ता संपत्ति पर कब्जा रखता है। यह अभिरक्षा उचित है।
(ग) ख का संसंगी क, ख के कब्जे वाली भूमि से संबंधित विलेख पेश करता है, जिन्हें ख ने उसके पास सुरक्षित अभिरक्षा के लिए निक्षिप्त किया था। यह अभिरक्षा उचित है।
Section 90 Indian Evidence Act – Presumption as to documents thirty years old —
Where any document, purporting or proved to be thirty years old, is produced from any custody which the Court in the particular case considers proper, the Court may presume that the signature and every other part of such document, which purports to be in the handwriting of any particular person, is in that persons handwriting, and, in the case of a document executed or attested, that it was duly executed and attested by the persons by whom it purports to be executed and attested.
Explanation.– Documents are said to be in proper custody if they are in the place in which, and under the care of the person with whom, they would naturally be; but no custody is improper if it is proved to have had a legitimate origin, or if the circumstances of the particular case are such as to render such an origin probable. धारा 90 भारतीय साक्ष्य अधिनियम
This explanation applies also to section 81.
Illustrations
(a) A has been in possession of landed property for a long time. He produces from his custody deeds relating to the land showing his titles to it. The custody is proper.
(b) A produces deeds relating to landed property of which he is the mortgagee. The mortgagor is in possession. The custody is proper. धारा 90 भारतीय साक्ष्य अधिनियम
(c) A, a connection of B, produces deeds relating to lands in Bs possession which were deposited with him by B for safe custody. The custody is proper.