सीआरपीसी की धारा 314 — मौखिक बहस और बहस का ज्ञापन —
(1) कार्यवाही का कोई पक्षकार, अपने साक्ष्य की समाप्ति के पश्चात् यथाशक्य शीघ्र संक्षिप्त मौखिक बहस कर सकता है और अपनी मौखिक बहस, यदि कोई हो, पूरी करने के पूर्व, न्यायालय को एक ज्ञापन दे सकता है जिसमें उसके पक्ष के समर्थन में तर्क संक्षेप में और सुभिन्न शीर्षकों में दिए जाएंगे, और ऐसा प्रत्येक ज्ञापन अभिलेख का भाग होगा।
(2) ऐसे प्रत्येक ज्ञापन की एक प्रतिलिपि उसी समय विरोधी पक्षकार को दी जाएगी।
(3) कार्यवाही का कोई स्थगन लिखित बहस फाइल करने के प्रयोजन के लिए तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक न्यायालय ऐसे कारणों से, जो लेखबद्ध किए जाएंगे, ऐसा स्थगन मंजूर करना आवश्यक न समझे ।
(4) यदि न्यायालय की यह राय है कि मौखिक बहस संक्षिप्त या सुसंगत नहीं है तो वह ऐसी बहसों को विनियमित कर सकता है।
Section 314 CrPC — Oral arguments and memorandum of arguments —
(1) Any party to a proceeding may, as soon as may be, after the close of his evidence, address concise oral arguments, and may, before he concludes the oral arguments, if any, submit a memorandum to the Court setting forth concisely and under distinct headings, the arguments in support of his case and every such memorandum shall form part of the record.
(2) A copy of every such memorandum shall be simultaneously furnished to the opposite party.
(3) No adjournment of the proceedings shall be granted for this purpose of filing the written arguments unless the Court, for reasons to be recorded in writing, considers it necessary to grant such adjournment.
(4) The Court may, if it is of opinion that the oral arguments are not concise or relevant, regulate such arguments.