सीआरपीसी की धारा 441 — अभियुक्त और प्रतिभुओं का बंधपत्र —
(1) किसी व्यक्ति के जमानत पर छोड़े जाने या अपने बंधपत्र पर छोड़े जाने के पूर्व उस व्यक्ति द्वारा, और जब वह जमानत पर छोड़ा जाता है तब एक या अधिक पर्याप्त प्रतिभुओं द्वारा इतनी धनराशि के लिए जितनी, यथास्थिति, पुलिस अधिकारी या न्यायालय पर्याप्त समझे, इस शर्त का बंधपत्र निष्पादित किया जाएगा कि ऐसा व्यक्ति बंधपत्र में वर्णित समय और स्थान पर हाजिर होगा और जब तक, यथास्थिति, पुलिस अधिकारी या न्यायालय द्वारा अन्यथा निदेश नहीं दिया जाता है इस प्रकार बराबर हाजिर होता रहेगा।
(2) जहाँ किसी व्यक्ति को जमानत पर छोड़ने के लिए कोई शर्त अधिरोपित की गई है, वहाँ बंधपत्र में वह शर्त भी अंतर्विष्ट होगी |
(3) यदि मामले में ऐसा अपेक्षित है तो बन्धपत्र द्वारा जमानत पर छोड़े गए व्यक्ति को अपेक्षा किए जाने पर आरोप का उत्तर देने के लिए उच्च न्यायालय, सेशन न्यायालय या अन्य न्यायालय में हाजिर होने के लिए भी आबद्ध किया जाएगा।
(4) यह अवधारित करने के प्रयोजन के लिए कि क्या प्रतिभू उपयुक्त या पर्याप्त है अथवा नहीं, न्यायालय शपथपत्रों को, प्रतिभुओं के पर्याप्त या उपयुक्त होने के बारे में उनमें अन्तर्विष्ट बातों के सबूत के रूप में, स्वीकार कर सकता है अथवा यदि न्यायालय आवश्यक समझे तो वह ऐसे पर्याप्त या उपयुक्त होने के बारे में या तो स्वयं जाँच कर सकता है या अपने अधीनस्थ किसी मजिस्ट्रेट से जाँच करवा सकता है।
Section 441 CrPC — Bond of accused and sureties —
(1) Before any person is released on bail or released on his own bond, a bond for such sum of money as the police officer or Court, as the case may be, thinks sufficient shall be executed by such person, and, when he is released on bail, by one or more sufficient sureties conditioned that such person shall attend at the time and place mentioned in the bond, and shall continue so to attend until otherwise directed by the police officer or Court, as the case may be.
(2) Where any condition is imposed for the release of any person on bail, the bond shall also contain that condition. सीआरपीसी की धारा 441
(3) If the case so requires, the bond shall also bind the person released on bail to appear when called upon at the High Court, Court of Session or other Court to answer the charge.
(4) For the purpose of determining whether the sureties are fit or sufficient, the Court may accept affidavits in proof of the facts contained therein relating to the sufficiency or fitness of the sureties, or, if it considers necessary, may either hold an enquiry itself or cause an inquiry to be made by a Magistrate subordinate to the Court, as to such sufficiency or fitness.