IPC की धारा 1 — संहिता का नाम और उसके प्रवर्तन का विस्तार–
यह अधिनियम भारतीय दण्ड संहिता कहलाएगा और इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर होगा ] ।
एम० एल० गोरे बनाम जिला मजिस्ट्रेट, चौबीस परगना, नि0 प0 1975 कल0 74
जब किसी दाण्डिक विधि में प्रयुक्त की गयी पदावली या अभिव्यक्ति सम्भावित रीति से एक ही चीज का दो अर्थ प्रकट करती हो, या विश्लेषण के उपरांत उसके दो अर्थ निकलते हों जिसमें एक अभियुक्त के पक्ष तथा दूसरा अभियुक्त के विरुद्ध तो उक्त दशा में अभियुक्त के पक्ष से सम्भावित रूप से निकाला गया अर्थ प्रभावी माना जायेगा ।
मंगल सिंह बनाम राजस्थान राज्य, नि० प० 1971 राज0 149
शब्दों के स्पष्ट तथा असंदिग्ध होने की दशा में उपबन्ध शब्दों के अनुसार ही निर्वाचित किये जायेंगे तथा साथ-साथ विधायिका का आशय भी शब्दों से ही ज्ञात किया जायेगा ।
राजस्थान राज्य बनाम लीला, ए0 आई0 आर0 1960 सु० को0 954
किसी भी अधिनियम को उद्देशिका के बिना नहीं समझा जा सकता है, इस प्रकार उद्देशिका किसी अधिनियम को समझने में महत्वपूर्ण होती है। विधि के अर्थ में संदेह या संशय की दशा में उद्देशिका का सहारा लेकर उस अर्थ को भली भाँति समझा जा सकता है । किन्तु उपबंधों की स्पष्टता की दशा में उद्देशिका को निर्दिष्ट करना अनावश्यक होगा।
IPC की धारा 1 FAQ
आईपीसी (IPC) कब लागू हुई ?
आईपीसी (IPC) 1 जनवरी, 1862 से लागू हुई l
आईपीसी (IPC) का विस्तार कहाँ तक है?
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) का विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है ( जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के द्वारा “जम्मू -कश्मीर राज्य के सिवाय” का लोप किया गया l)
आईपीसी (IPC) में “जम्मू -कश्मीर राज्य के सिवाय” शब्द का लोप किस संशोधन द्वारा किया गया l
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के द्वारा
आईपीसी (IPC) सम्पूर्ण भारत पर कब से लागू है ?
आईपीसी (IPC) सम्पूर्ण भारत पर 31 अक्टूबर,2019 (जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के द्वारा) से लागू हैं l
IPC की धारा 1 क्या हैं ?
आईपीसी (IPC) की धारा 1 संहिता का नाम और उसके प्रवर्तन का विस्तार को बताती हैं |
IPC Section 1 — Title and extent of operation of the Code
This Act shall be called the Indian Penal Code, and shall extend to the whole of India