IPC की धारा 27 –“पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में संपत्ति” –
जबकि संपत्ति किसी व्यक्ति के निमित्त उस व्यक्ति की पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में है, तब वह इस संहिता के अर्थ के अन्तर्गत उस व्यक्ति के कब्जे में है।
स्पष्टीकरण - लिपिक या सेवक के नाते अस्थायी रूप से या किसी विशिष्ट अवसर पर नियोजित व्यक्ति इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत लिपिक या सेवक है।
IPC की धारा 27 से संबंधित महत्वपूर्ण केस
चोट्टी, ए0 आई0 आर0 1923 इला0 33
स्वामी को लिपिक या सेवक के कब्जे के लिए उत्तरदायी माना जाएगा, लेकिन दुकान के प्रयोजनार्थ सेवक द्वारा पिस्तौल के कब्जे की स्थिति में न्यायालय द्वारा स्वामी का कब्जा मान्य नहीं होगा।
धर्म सिंह, मंगल सिंह, ए0 आई0 आर0 1961 पंजाब 30 1960 (1) क्रि० लॉ ज0 152
जहाँ पर मामले में चोरी की गयी वस्तुओं से एक बक्स प्राप्त हुआ और बक्स की चाभी पत्नी द्वारा पेश की गयी तो उस दशा में पति को उत्तरदायी नहीं माना गया।
ए0 आई0 आर0 1915 इला0 129
जहां पर कतिपय आपराधिक वस्तुएं संयुक्त परिवार के मकान के सटे हुए कमरे में पाई गई हों, ऐसी स्थिति में अभियोजक द्वारा स्पष्ट रूप से साबित किया जाएगा कि उक्त वस्तुएं संयुक्त परिवार के किस विशेष सदस्य के अनन्य कब्जे में थीं।
IPC की धारा 27 FAQ
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किस स्थिति में कोई सम्पत्ति किसी व्यक्ति के कब्जे में मानी जाती है ?
जब वह पत्नी, लिपिक और सेवक कब्जे में हो I
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“पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में संपत्ति” को भारतीय दण्ड संहिता की किस धारा में परिभाषित किया गया है?
IPC की धारा 27 में
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आईपीसी (IPC) की धारा 27 में किसकी परिभाषा दी गयी हैं?
“पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में संपत्ति”
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आईपीसी में “पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में संपत्ति” की क्या परिभाषा है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 27 के अनुसार, जबकि संपत्ति किसी व्यक्ति के निमित्त उस व्यक्ति की पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में है, तब वह इस संहिता के अर्थ के अन्तर्गत उस व्यक्ति के कब्जे में है।
IPC Section 27 — Property in possession of wife, clerk or servant –
When property is in the possession of a person’s wife, clerk or servant, on account of that person, it is in that person’s possession within the meaning of this Code.
Explanation – A person employed temporarily or on a particular occasion in the capacity of a clerk or servant, is a clerk or servant within the meaning of this section.
भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]