IPC की धारा 35 — जबकि ऐसा कार्य इस कारण आपराधिक है कि वह आपराधिक ज्ञान या आशय से किया गया है –
जब कभी कोई कार्य, जो आपराधिक ज्ञान या आशय से किए जाने के कारण ही आपराधिक है, कई व्यक्तियों द्वारा किया जाता है, तब ऐसे व्यक्तियों में से हर व्यक्ति, जो ऐसे ज्ञान या आशय से उस कार्य में सम्मिलित होता है, उस कार्य के लिए उसी प्रकार दायित्व के अधीन है, मानो वह कार्य उस ज्ञान या आशय से अकेले उसी द्वारा किया गया हो।
आईपीसी की धारा 35 के प्रमुख अवयव क्या हैं ? |
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जब कभी कोई कार्य, जो- 1. कई व्यक्तियों द्वारा किया जाता है, 2. तब ऐसे व्यक्तियों में से हर व्यक्ति, 3. जो ऐसे ज्ञान या आशय से उस कार्य में सम्मिलित होता है, उस कार्य के लिए उसी प्रकार दायित्व के अधीन है, 4. मानो वह कार्य उस ज्ञान या आशय से अकेले उसी द्वारा किया गया हो। 5. आपराधिक ज्ञान या आशय से किए जाने के कारण ही आपराधिक है |
IPC की धारा 35 से संबंधित महत्वपूर्ण केस-
आदम अली बनाम तालुकदार, ए० आई० आर० 1927 काल० 324.
अ तथा व ने स को इतना पीटा कि वह मर गया। अ उसकी हत्या करना चाहता था तथा यह भी जानता था कि उसके इस कार्य से उसकी मृत्यु हो जायेगी व की इच्छा मात्र घोर उपहति (grievous hurt ) कारित करने की थी तथा उसे इस बात का ज्ञान नहीं था कि उसके कार्य से स की मृत्यु हो जायेगी या उसे शारीरिक चोट आयेगी जिससे उसको मृत्यु हो सकती है। अ हत्या तथा व धोर उपहति का दोषी पाया गया।
घूरे(1949) इलाहाबाद 770.
यह निर्णीत किया गया कि यदि किसी तेज धार वाले हथियार से या अग्नि शस्त्र से प्रहार किया जाता है तो यह माना जाना चाहिये कि हत्यारों को इस बात का ज्ञान था कि इस प्रकार के हथियार के प्रयोग से मृत्यु होने की सम्भावना थी और यदि सचमुच मृत्यु हो जाती है तो उनमें से प्रत्येक व्यक्ति हत्या का दोषी होगा।
ए0 आई0 आर0 1944 कल0 339
धारा 34 के अधीन संयुक्त आपराधिक दायित्व के लिये सामान्य आशय आपेक्षित है जबकि आईपीसी की धारा 35 द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त के अधीन दायित्व हेतु दुराशय अपेक्षित है।
राज्य बनाम भीमाशंकर, ए0 आई0 आर0 1968 बम्बई 254
साधारण या घोर उपहति पहुँचाये जाने के मामले में यदि एक से अधिक अभियुक्तों का आशय रहा हो एक अभियुक्त द्वारा कारित घोर उपहति के लिए सभी अभियुक्त धारा 326 के अधीन दायित्वाधीन माने जायेंगे।
IPC की धारा 35 FAQ
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IPC की धारा 35 क्या हैं?
IPC की धारा 35 — जबकि ऐसा कार्य इस कारण आपराधिक है कि वह आपराधिक ज्ञान या आशय से किया गया है –
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जबकि ऐसा कार्य इस कारण आपराधिक है कि वह आपराधिक ज्ञान या आशय से किया गया है आईपीसी की किस धारा में दिया है ?
IPC की धारा 35 में |
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आदम अली बनाम तालुकदार, किस धारा से संबंधित केस है ?
IPC की धारा 35 से |
IPC Section 35 — When such an act is criminal by reason of its being done with a criminal knowledge or intention —
Whenever an act, which is criminal only by reason of its being done with a criminal knowledge or intention, is done by several persons, each of such persons who joins in the act with such knowledge or intention is liable for the act in the same manner as if the act were done by him alone with that knowledge or intention.
भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]