IPC की धारा 44 — “क्षति” –
“क्षति” शब्द किसी प्रकार की अपहानि का द्योतक है, जो किसी व्यक्ति के शरीर, मन, ख्याति या संपत्ति को अवैध रूप से कारित हुई हो।
धारा 44 आईपीसी के प्रमुख अवयव क्या हैं? |
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(i) किसी व्यक्ति को कोई अपहानि कारित करना, (ii) ऐसे अपहानि अवैध रूप से कारित करना (iii) ऐसी अपहानि शरीर, मन, ख्याति या सम्पत्ति से सम्बन्धित हो |
IPC की धारा 44 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –
हबिले उल - रज्जा"(1923) 46 इला० 81.
अभियुक्त ने शिकायतकर्ता के पशुओं को अपने साथ ले जाकर रखा और तब तक उन्हें छोड़ने से इनकार किया, जब तक कि उसे कुछ रुपया नहीं दिया जाता। रुपया दिए जाने पर अभियुक्त ने पशुओं को छोड़ दिया। इस परिस्थिति में निर्णय लिया गया कि अभियुक्त ने शिकायतकर्ता को क्षति पहुंचाई है।
ए0 आई0 आर0 1949 मद्रास 546
सामाजिक बहिष्कार की धमकी क्षति (आईपीसी की धारा 44) की कोटि में नहीं आयेगा
वी० अप्पलासामी, (1892) 1 वेयर 441.
किसी व्यक्ति को धमकी देना कि वह देय धन से अधिक नहीं देगा और यदि नहीं दिया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी, यह अवैध होता है और इस कार्रवाई के तहत क्षति (आईपीसी की धारा 44) उत्पन्न हो सकती है।
ए0 आई0 आर0 1936 सिंध 293
जब एक व्यक्ति हानि के भय में डालकर किसी अन्य व्यक्ति से उसकी इच्छा के विरुद्ध जबरदस्ती धन वसूल करता है, तो ऐसा कार्य क्षति के रूप में माना जाता है।
यल्ला गंगुलू, 19 क्रि० लॉ ज0 445
पति की मृत्यु इस धारा के भावाबोध में पत्नी के लिए आईपीसी की धारा 44 के अंतर्क्षगत क्षति नहीं माना जायेगा।
मेहरुन्निसा बनाम सैयद हवीव, 2015 क्रि० लॉ ज0 1836
किसी अवैधानिक कार्य के कारण यदि एक व्यक्ति शारीरिक मानसिक या अपनी ख्याति या सम्पत्तिका क्षति झेलता है तो ऐसे कपट को आईपीसी की धारा 44 के अंतर्क्षगत क्षति कहा जा सकता है।
IPC की धारा 44 FAQ
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क्षति शब्द को स्पष्ट कीजिए ?
धारा 44 के अनुसार क्षति शब्द किसी प्रकार की अपहानि का द्योतक है, जो किसी व्यक्ति के शरीर, मन, ख्याति या सम्पत्ति को अवैध रूप से कारित हुआ हो।
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आईपीसी (IPC) की किस धारा मेँ क्षति को परिभाषित किया गया है?
IPC की धारा 44 मेँ
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IPC की धारा 44 क्या है?
IPC की धारा 44 के अनुसार, “क्षति” शब्द किसी प्रकार की अपहानि का द्योतक है, जो किसी व्यक्ति के शरीर, मन, ख्याति या संपत्ति को अवैध रूप से कारित हुई हो।
IPC Section 44 — “Injury” –
The word “injury” denotes any harm whatever illegally caused to any person, in body, mind, reputation or property.
भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]