IPC की धारा 107 (DHARA 107) — किसी बात का दुष्प्रेरण –
वह व्यक्ति किसी बात के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, जो –
पहला - उस बात को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है; अथवा
दूसरा - उस बात को करने के लिए किसी षड़यंत्र में एक या अधिक अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ सम्मिलित होता है, यदि उस षड़यंत्र के अनुसरण में, और उस बात को करने के उद्देश्य से, कोई कार्य या अवैध लोप घटित हो जाए; अथवा
तीसरा - उस बात के लिए किए जाने में किसी कार्य या अवैध लोप द्वारा साशय सहायता करता है।
स्पष्टीकरण 1- जो कोई व्यक्ति जानबूझकर दुर्व्यपदेशन द्वारा, या तात्विक तथ्य, जिसे प्रकट करने के लिए वह आबद्ध है, जानबूझकर छिपाने द्वारा, स्वेच्छया किसी बात का किया जाना कारित या उपाप्त करता है अथवा कारित या उपाप्त करने का प्रयत्न करता है, वह उस बात का किया जाना उकसाता है, यह कहा जाता है।
दृष्टांत
क एक लोक ऑफिसर, न्यायालय के वारण्ट द्वारा य को पकड़ने के लिए प्राधिकृत है। ख उस तथ्य को जानते हुए और यह भी जानते हुए कि ग, य नहीं है, क को जानबूझकर यह व्यपदिष्ट करता है, कि ग, य है और तद्द्वारा साशय क से ग को पकड़वाता है। यहां ख, ग के पकड़े जाने का उकसाने द्वारा दुष्प्रेरण करता है।
स्पष्टीकरण 2 - जो कोई या तो किसी कार्य के किए जाने से पूर्व या किए जाने के समय, उस कार्य के किए जाने को सुकर बनाने के लिए कोई बात करता है और एतद्द्वारा उसके किए जाने को सुकर बनाता है वह उस कार्य के करने में सहायता करता है, यह कहा जाता है।
धारा 107 आईपीसी के प्रमुख अवयव क्या हैं? |
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(1) दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य षडयंत्र, (2) एक कार्य या अवैध लोप उस षडयंत्र के फलस्वरुप कारित हो, तथा (3) ऐसा कार्य या अवैध लोप षडयंत्र के उद्देश्य की पूर्ति में कारित हुआ हो। |
IPC की धारा 107 Latest Judgement
जोसफ बनाम स्टेट आफ तमिलनाडु, ए0 आई0 आर0 2018 एस0 सी0 93
कोई कार्य करने के लिए किसी को उकसाना दुष्प्रेरण है। एक अभियुक्त के उकसाये जाने पर अन्य अभियुक्त हमला करते हैं तो यह दुष्प्रेरण है। ऐसा कार्य धारा 107(DHARA 107) की परधि में आएगा |
IPC की धारा 107 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –
क्वीन बनाम मोहित (1871) 3 एन० डब्ल्यू० पी० 316.
इस वाद में अभियुक्तों की उपस्थिति में एक स्त्री ने सती होने के लिये अपने को तैयार किया। वे लोग उसके साथ चिता तक गये तथा उसके सौतेले पुत्रों के साथ खड़े हो कर" राम-राम " चिल्लाते रहे। यह निर्णय दिया गया कि वे सभी व्यक्ति जो चिता तक उसके साथ आये थे तथा "राम-राम' चिल्ला रहे थे, दुष्प्रेरण धारा 107 (DHARA 107) के दोषी होंगे क्योंकि उन लोगों ने सती होने के लिये सक्रिय रूप से उसे समर्थन दिया।
प्रभावनाथ, ए0 आई0 आर0 1951 कल0 581
मात्र सलाह या परामर्श का दिया जाना दुष्प्रेरण के अपराध के गठन के लिए पर्याप्त नहीं माना जायेगा । दायित्व के लिए उक्त तीनों तथ्यों में से इसी एक तथ्य का साबित किया जाना अनिवार्य है।
पंडाला वेंकटास्वामी (1881 ) 3 मद्रास 4.
यह निर्णय दिया गया कि यदि एक व्यक्ति अन्य कई लोगों के साथ मिलकर किसी आशयित झूठे दस्तावेज की एक प्रतिलिपि तैयार करता है तथा इस झूठे दस्तावेज को लिखने के प्रयोजन से रसीदी कागज खरीदता है और उस झूठे दस्तावेज में लिखने के उद्देश्य से एक तथ्य के विषय में सूचना इकट्ठी करता है, तो वह जालसाजी (Forgery) के दुष्प्रेरण अर्थात् धारा 107 (DHARA 107) का अपराधी है |
बेवी जान बनाम स्टेट, ए0 आई0 आर0 1953 टी0 सी0 251
उकसाने की अभिव्यक्ति के अन्तर्गत किसी प्रत्यक्ष या निर्दिष्ट शब्दों का प्रयोग किया जाना आवश्यक नहीं है।
सेन्ट्रल व्यूरो आफ इन्वेस्टीगेसन बनाम वी० सी० शुक्ला ए० आई० आर० 1998 एस० सी० 1406.
उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया कि जहां अभियोजन यह सिद्ध करने में असफल रहता है कि दो में से एक अभियुक्त किसी आपराधिक षड्यंत्र में भागीदार था ऐसी दशा में दूसरे अभियुक्त के विरुद्ध षड्यंत्र का आरोप सिद्ध नहीं माना जायेगा क्योंकि षड्यंत्र में कम से कम दो व्यक्तियों का होना अनिवार्य है |
ए0 आई0 आर0 1925 इला0 230
इस तथ्य के ज्ञान के बिना कि कोई अपराध किया जाना है पहुँचायी गयी साशय सहायता आईपीसी (IPC) की धारा
107 (दुष्प्रेरण )की कोटि में नहीं आयेगी
आर० स्पायर (1887) पी० आर० नं० 49 (1887). किसी अपराध का दुष्प्रेरण स्वतः एक अपराध है। दुष्प्रेरण भारतीय दण्ड संहिता की धारा 40 के अन्तर्गत भी एक अपराध है। अतः दुष्प्रेरण को भी कारित करने का प्रयास इस संहिता की धारा 511 के उपबन्धों के अधीन एक अपराध है|
पी श्री निवनासुलू बनाम स्टेट आफ ए0 पी0, 2004 क्रि० लॉ ज0 2718 (बी0) (आन्ध्र प्रदेश)
गालियाँ दुष्प्रेरण की कोटि में नहीं आ सकती है जब तक कोई बात गालियों के कथित कार्य के अनुसरण में नहीं की जाती ।
इम्परर बनाम फैयाज हुसैन 28 16 डब्ल्यू० एन० 194.
के वाद में एक जमींदार ने अपना मकान एक पुलिस अधिकारी को किराये पर दिया जो एक मामले का अन्वेषण कर रहा था। जमींदार ने यह जानते हुये मकान पुलिस अधिकारी को दिया था कि मकान का उपयोग शंकायुक्त चोर को यातना देने हेतु किया जायेगा। वह दुष्प्रेरण का दोषी है।
IPC की धारा 107 FAQ
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‘क’ ‘ख’ पर प्रहार करना चाहता है और उसका मित्र ‘ग’ उसे अपनी छड़ी दे देता है, जिससे ‘क’ ‘ख’ पर प्रहार कर सके। ‘ग’ किस अपराध का दोषी है?
दुष्प्रेरण का अपराध | (DHARA 107)
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किन कार्यों द्वारा दुष्प्रेरण का अपराध किया जा सकता है?
षडयंत्र , उकसाने द्वारा तथा साशय सहायता |
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‘अ’ आपराधिक आशय से 5 वर्ष की उम्र के शिशु को चोरी के लिए दुष्प्रेरित करता है, परन्तु चोरी नहीं की गयी यहाँ ‘अ’ है ?
हां, चोरी के दुष्प्रेरण का दोषी
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भारतीय दण्ड संहिता की किस धारा के अन्तर्गत ‘षड्यंत्र’ द्वारा दुष्प्रेरण का प्रावधान किया गया है?
आईपीसी की धारा धारा 107 (2) में |
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कौन दुष्प्रेरण का प्रकार (तत्व) है ?
अवैध लोप, उकसाना, पड्यंत्र, सहायता करना दुष्प्रेरण के प्रकार हैं।
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‘क’ एक पत्र ‘ख’ को लिखता है और उसके द्वारा ‘ख’ को ‘ग’ की हत्या करने के लिए उकसाता है। इस मामले में ‘क’ कब दुष्प्रेरण के लिए दायी हो जायेगा ?
जैसे ही ‘ख’ को उस पत्र में लिखी बातों का ज्ञान हो जाता है।
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कोई व्यक्ति कब सहायता द्वारा किसी अपराध का दुष्प्रेरण करता है?
अपराध घटित होने से पूर्व या अपराध घटित होते समय
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IPC की धारा 107 के खण्ड (दो) और धारा 120क के अंतर्गत षडयंत्र में क्या अंतर है?
धारा 107 (DHARA 107) के खण्ड (दो) के अंतर्गत किसी अपराध हेतु कई लोगों के बीच मात्र समझौता पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसके तहत एक कार्य या अवैध लोप का कारित होना भी आवश्यक है, साथ ही यह कार्य या लोप निश्चित उद्देश्य की पूर्ति हेतु होना चाहिए. जबकि धारा 120क के अंतर्गत किसी अपराध के लिए मात्र सहमति ही पर्याप्त है, यदि सम्मति अपराध कारित करने के उद्देश्य से की गयी है।
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किसी भी रूप में प्रदर्शित मूल सहमति जो अपराध को प्रेरित करने और उत्साहित करने के प्रभाव से युक्त है, दुष्प्रेरण है। यह किस वाद में धारित किया गया?
क्वीन बनाम मोहित के वाद में
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‘क’ एक लोक सेवक कार्यालय के वारण्ट द्वारा ‘प’ को पकड़ने के लिए प्राधिकृत है, ‘ख’ उस तथ्य को जानते हुए कि और वह भी जानते हुए कि ‘ग’ ‘प’ नहीं है, ‘क’ को जानबूझकर यह व्यपदिष्ट करता है, कि ‘ग’ ‘प’ है और तद्द्द्वारा साशय ‘क’ से ‘ग’ को पकड़वाता है। यहाँ ‘ख’ ने कौन सा अपराध किया ?
‘ख’ ने ‘ग’ को पकड़े जाने का उकसाने द्वारा दुष्प्रेरण किया है।
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जान बूझकर छिपाने द्वारा उकसाना कब गठित होता है ?
जबकि छिपाना तात्विक तथ्य से सम्बन्धित होता है जिसे प्रकट करने के लिए वह बाध्य होता है। ( आईपीसी की धारा धारा 107 स्पष्टीकरण एक)
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परिमल चटर्जी 1932 कलकत्ता के वाद में उकसाने का क्या अर्थ दिया गया है?
इस वाद में इसका अर्थ फुसलाना, प्रार्थना करना, उत्तेजित करना, उकसाना, विनती करना, या किसी कार्य के लिए उत्साहित करना है।
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आईपीसी (IPC) के अन्तर्गत दुष्प्रेरण किन तरीकों से गठित होता है?
तीन तरीकों से-
(I) एक व्यक्ति को अपराध करने के लिए उकसाने द्वारा
(2) एक अपराध कारित करने के लिए किसी षडयंत्र में सम्मिलित होने द्वारा, या
(3) जानबूझकर एक अपराध कारित करने के लिए एक व्यक्ति की सहायता द्वारा। -
उकसाने का क्या अर्थ है ?
सक्रिय रूप से सुझाव देना अथवा प्रत्यक्ष या विवक्षित भाषा द्वारा प्रेरित करना चाहे यह स्पष्ट प्रार्थना के रूप में हो या संकेत से फुसलाना या प्रेरित करना हो
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कोई व्यक्ति किसी बात का किया जाना उकसाता है, यह कब कहा जाता है ?
जो कोई व्यक्ति जानबूझकर दुष्प्रेरण द्वारा, या तात्विक तथ्य जिसे प्रकट करने के लिए वह आवद्ध है, जानबूझकर छिपने द्वारा स्वेच्छ्या किसी बात का किय जना कारित या उपाप्त करता है अथवा उपाप्त करने का प्रयत्न करता है, वह उस बात का किया जाना उकसाता है, यह कहा जाता है (IPC की धारा 107 का स्पष्टीकरण । )
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कोई व्यक्ति किसी कार्य के करने में सहायता करता है यह कब कहा जाता है ?
यह IPC की धारा 107 (DHARA 107) के स्पष्टीकरण 2 के अनुसार, जो कोई या तो किसी कार्य के किये जाने से पूर्व या किये जाने के समय उस कार्य के किये जाने को सुनकर बनाने के लिए कोई बात करता है और तद्द्वारा उसके किये जाने को सुकर बनाता है, वह उस कार्य के करने में सहायता करता है, यह कहा जाता है।
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कोई व्यक्ति किसी बात के किये जाने का दुष्प्रेरण कब करता है?
(1) जब वह उस बात को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है, अथवा
(2) उस बात को करने के लिए किसी षडयंत्र में एक या अधिक अन्य व्यक्तियों के साथ सम्मिलित होता है, यदि उस षडयंत्र के अनुसरण में उस बात को करने के उद्देश्य से कोई कार्य या अवैध लोप घटित हो जाये, अथवा
(3) उस बात के किये जाने में किसी कार्य या अवैध लोप द्वारा साशय सहायता करता है। (DHARA 107)
107 IPC In Hindi — Abetment of a thing –
भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]