IPC की धारा 468 — छल के प्रयोजन से कूटरचना –
जो कोई कूटरचना इस आशा से करेगा कि वह दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख जिसकी कूटरचना की जाती है छल के प्रयोजन से उपयोग में लाई जाएगी, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
राज्य संशोधन
मध्यप्रदेश – धारा 468 के अधीन अपराध “सत्र न्यायालय ” द्वारा विचारणीय है।
[देखें म.प्र. अधिनियम क्रमांक 2 सन् 2008 की धारा 41 म.प्र. राजपत्र (असाधारण) दिनांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाशित ।]
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, अजमानतीय, अशमनीय, और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 468 –Forgery for purpose of cheating –
Whoever commits forgery, intending that the “[document or electronic record forged] shall be used for the purpose of cheating, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.
STATE AMENDMENT
Madhya Pradesh – Offence under section 468 is triable by “Court of Session”.
[Vide Madhya Pradesh Act 2 of 2008, section 4. Published in M.P. Rajpatra (Asadharan) dated 22-2-2008 page 158-158(1).]