IPC की धारा 473 — अन्यथा दण्डनीय कूटरचना करने के आशय से कूटकृत मुद्रा, आदि का बनाना या कब्जे में रखना —
जो कोई किसी मुद्रा, पट्टी या छाप लगाने के अन्य उपकरण को इस आशय से बनाएगा, या उसकी कूटकृति करेगा, कि उसे कोई ऐसी कूटरचना करने के प्रयोजन के लिए उपयोग में लाया जाए, जो धारा 467 से भिन्न इस अध्याय की किसी धारा के अधीन दण्डनीय है, या इस आशय से किसी ऐसी मुद्रा, पट्टी या अन्य उपकरण को, उसे कूटकृत जानते हुए अपने कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
राज्य संशोधन
मध्यप्रदेश – धारा 473 के अधीन अपराध “सत्र न्यायालय ” द्वारा विचारणीय है।
[देखें म.प्र. अधिनियम क्रमांक 2 सन् 2008 की धारा 4. म.प्र. राजपत्र (असाधारण) दिनांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाशित । ]
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 473 — Making or possessing counterfeit seal, etc., with intent to commit forgery punishable otherwise –
Whoever makes or counterfeits any seal, plate or other instrument for making an impression, intending that the same shall be used for the purpose of committing any forgery which would be punishable under any section of this Chapter other than section 467, or, with such intent, has in his possession any such seal, plate or other instrument, knowing the same to be counterfeit, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.
STATE AMENDMENT
Madhya Pradesh – Offence under section 473 is triable by “Court of Session”.
[Vide Madhya Pradesh Act 2 of 2008, section 4. Published in M.P. Rajpatra (Asadharan) dated 22-2-2008 page 158-158(1).]