IPC की धारा 477 — विल, दत्तकग्रहण, प्राधिकार-पत्र या मूल्यवान प्रतिभूति को कपटपूर्वक रद्द, नष्ट, आदि करना —
जो कोई कपटपूर्वक या बेईमानी से, या लोक को या किसी व्यक्ति को नुकसान या क्षति कारित करने के आशय से, किसी ऐसी दस्तावेज को, जो विल या पुत्र के दत्तक ग्रहण करने का प्राधिकार-पत्र या कोई मूल्यवान प्रतिभूति हो, या होना तात्पर्यित हो, रद्द, नष्ट या विरूपित करेगा या रद्द, नष्ट या विरूपित करने का प्रयत्न करेगा, या छिपाएगा या छिपाने का प्रयत्न करेगा या ऐसी दस्तावेज के विषय में रिष्टि करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
राज्य संशोधन
मध्यप्रदेश – धारा 477 के अधीन अपराध ”सत्र न्यायालय ” द्वारा विचारणीय है।
[देखें म.प्र. अधिनियम क्रमांक 2 सन् 2008 की धारा 4. म.प्र. राजपत्र (असाधारण) दिनांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाशित ।]
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, असंज्ञेय, अजमानतीय, अशमनीय और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 477 — Fraudulent cancellation, destruction, etc., of Will, authority to adopt, or valuable security –
Whoever fraudulently or dishonestly, or with intent to cause damage or injury to the public or to any person, cancels, destroys or defaces, or attempts to cancel, destroy or deface, or secretes or attempts to secrete any document which is or purports to be a Will, or an authority to adopt a son, or any valuable security, or commits mischief in respect of such documents, shall be punished with imprisonment for life, or with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.
STATE AMENDMENT
Madhya Pradesh — Offence under section 477 is triable by “Court of Session”.
[Vide Madhya Pradesh Act 2 of 2008, section 4. Published in M.P. Rajpatra (Asadharan) dated 22-2-2008 page 158-158(1).]