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IPC की धारा 39 | धारा 39 भारतीय दण्ड संहिता | IPC Section 39 In Hindi

IPC की धारा 39 — “स्वेच्छया” –

कोई व्यक्ति किसी परिणाम को “स्वेच्छया” कारित करता है, यह तब कहा जाता है, जब वह उसे उन साधनों द्वारा कारित करता है, जिनके द्वारा उसे कारित करना उसका आशय था या उन साधनों द्वारा कारित करता है जिन साधनों को काम में लाते समय यह जानता था, या यह विश्वास करने का कारण रखता था कि उनसे उसका कारित होना संभाव्य है।

दृष्टांत

क लूट को सुकर बनाने के प्रयोजन से एक बड़े नगर के एक बसे हुए गृह में रात को आग लगाता है और इस प्रकार एक व्यक्ति की मृत्युकारित कर देता है। यहां क का आशय भले ही मृत्यु कारित करने का न रहा हो और वह दुखित भी हो कि उसके कार्य से मृत्युकारित हुई है तो भी यदि वह यह जानता था कि संभाव्य है कि वह मृत्युकारित कर दे तो उसने स्वेच्छया मृत्युकारित की है।

आईपीसी की धारा 39 के प्रमुख अवयव क्या हैं?  
एक व्यक्ति किसी परिणाम को स्वेच्छया कारित करता है,-
(1) यदि वह उसे उन साधनों द्वारा कारित करता है, जिनके द्वारा उसे कारित करना उसका आशय था, या 
(2) वह उन साधनों द्वारा कारित करता है जिन साधनों को काम में लाते समय वह यह जानता था कि उसका कारित होना संभाव्य था. या 
(3) के उन साधनों द्वारा कारित करता है, जिन साधनों को काम में लाते समय वह यह विश्वास करने का कारण रखता था कि उसका कारित होना संभाव्य है।

IPC की धारा 39 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –

रामरूप 1950) 3 पंजाब 192.
इस वाद में यह निर्णीत हुआ कि कोई कार्य या लोप स्वेच्छया हुआ माना जायेगा यदि इसे उचित सावधानी के प्रयोग द्वारा बचाया जा सकता। अतः एक उपेक्षापूर्ण कार्य या लोप इच्छित होगा क्योंकि दोषी व्यक्ति सम्पादन या लोप को बचाने का इच्छुक नहीं था।
ए0 आई0 आर0 1918 मद्रास 136
आईपीसी (IPC) की धारा 39 में दी गयी अभिव्यक्ति "स्वेच्छया" की परिभाषा विधि के इस महत्वपूर्ण सूत्र को सम्मिलित करती है कि यह उपधारणा की जाती है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने कार्य से उत्पन्न होने वाले स्वभाविक परिणामों का ज्ञाता होता है।

IPC की धारा 39 FAQ

  1. आईपीसी (IPC) की किस धारा में स्वेच्छया परिभाषित है?

    IPC की धारा 39 में

  2. आईपीसी “स्वेच्छया” की क्या परिभाषा है ?

    IPC की धारा 39 के अनुसार कोई व्यक्ति किसी परिणाम को “स्वेच्छया” कारित करता है, यह तब कहा जाता है, जब वह उसे उन साधनों द्वारा कारित करता है, जिनके द्वारा उसे कारित करना उसका आशय था या उन साधनों द्वारा कारित करता है जिन साधनों को काम में लाते समय यह जानता था, या यह विश्वास करने का कारण रखता था कि उनसे उसका कारित होना संभाव्य है।

  3. आईपीसी की धारा 39 क्या है ?

    IPC की धारा 39 “स्वेच्छया” की परिभाषा देती है

IPC Section 39 — “Voluntarily” –

A person is said to cause an effect “voluntarily” when he causes it by means whereby he intended to cause it, or by means which, at the time of employing those means, he knew or had reason to believe to be likely to cause it.

Illustration

A sets fire, by night, to an inhabited house in a large town, for the purpose of facilitating a robbery and thus causes the death of a person. Here, A may not have intended to cause death; and may even be sorry that death has been caused by his act; yet, if he knew that he was likely to cause death, he has caused death voluntarily.

भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –

भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र

भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल

भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]

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