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IPC की धारा 53A | धारा 53A भारतीय दण्ड संहिता | IPC Section 53A In Hindi

IPC की धारा 53A (DHARA 53A) — निर्वासन के प्रति निर्देश का अर्थ लगाना –

(1) उपधारा (2) के और उपधारा (3) के उपबंधों के अध्यधीन किसी अन्य तत्समय प्रवृत्ति विधि में, या किसी ऐसी विधि या किसी निरसित अधिनियमिति के आधार पर प्रभावशील किसी लिखत या आदेश में “आजीवन निर्वासन” के प्रति निर्देश का अर्थ यह लगाया जायेगा, कि वह “आजीवन कारावास” के प्रति निर्देश है।

(2) हर मामले में, जिसमें कि किसी अवधि के लिए निर्वासन का दण्डादेश दण्ड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम, 1955 (1955 का 26) के प्रारंभ से पूर्व दिया गया है, अपराधी से उसी प्रकार बरता जाएगा, मानो वह उस अवधि के लिए कठिन कारावास के लिए दण्डादिष्ट किया गया हो।

(3) किसी अन्य तत्समय प्रवृत्त विधि में किसी अवधि के लिए निर्वासन या किसी लघुतर अवधि के लिए निर्वासन के प्रति (चाहे उसे कोई भी नाम दिया गया हो) कोई निर्देश लुप्त कर दिया गया समझा जाएगा।

(4) किसी अन्य तत्समय प्रवृत्त विधि में निर्वासन के प्रति जो कोई निर्देश हो –

(क) यदि उस पद से आजीवन निर्वासन अभिप्रेत है, तो उसका अर्थ आजीवन कारावास के प्रति निर्देश होना लगाया जाएगा;

(ख) यदि उस पद से किसी लघुत्तर अवधि के लिए निर्वासन अभिप्रेत है, तो यह समझा जाएगा कि वह लुप्त कर दिया गया है।


IPC की धारा 53A से संबंधित महत्वपूर्ण केस –

गोपाल विनायक गोडसे बनाम महाराष्ट्र राज्य, ए0 आई0 आर0 1961 सु0 को0 700
जहाँ पर कैदी आजीवन निर्वासन के अधीन बरता गया हो तो वह ऐसे दण्ड को भुगताने के लिए तब तक बाध्य माना जायेगा। जब तक समुचित सरकार उसके दण्ड के अवशेष अवधि में कमी कर देती है।
किशोरी लाल बनाम इम्परर ए० आई० आर० 1945 पी० सी० 64.
प्रिवी कौंसिल ने एक अभिमत व्यक्त किया कि निर्वासन के दण्ड का अर्थ आवश्यक रूप से समुद्र पार निर्वासन नहीं है। परन्तु ब्रिटिश शासन काल में प्राय: ऐसे कैदियों को अण्डमान निकोबार द्वीप भेजा जाता था।
नायब सिंह बनाम पंजाब राज्य 1983 क्रि० लॉज० 1345 सु० को ०. 
के मामले में मत व्यक्त किया गया कि निर्वाचन की सजा, चाहे जीवन भर के लिये हो चाहे एक निश्चित अवधि के लिये हो, का आशय निश्चयतः कठोर कारावास से है, अर्थात् दण्डित व्यक्ति से कारावास के दौरान कठोर श्रम कराया जाये। उपधारा (2) को आईपीसी की धारा 53A (DHARA 53A) की उपधारा (1) के साथ पढ़ने पर सुस्पष्ट हो जाता है कि "आजीवन कारावास की सजा को "आजीवन कठोर " कारावास" के तुल्य समझा जाना चाहिये।
गोपाल विनायक गोड्से बनाम स्टेट आफ महाराष्ट्र ए० आई० आर० 1961 सु० को०. पृ० 602.
उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया कि कोई व्यक्ति जिसे आजीवन अथवा किसी अवधि तक के निर्वासन का दण्ड दिया गया हो प्रतिवादित धारा 53A के अधिनियम के पूर्व, उसे आजीवन अथवा यथास्थिति उससे कम अवधि के सश्रम कारावास के समान माना जाता था।
ए0 आई0 आर0 1968 एम0 पी0 97
निर्वसन के दण्ड की अवधारणा को आवश्यक संशोधनों द्वारा समाप्त कर दिया गया, ऐसे अपराधी जिन्हें संशोधन के पूर्व निर्वसन से दण्डादिष्ट किया गया था, वे संशोधन के पश्चात् कठोर कारावास के दण्ड के अधीन माने जायेंगे।

IPC की धारा 53A FAQ

  1. आईपीसी में आजीवन निर्वासन के प्रति वर्तमान में क्या अर्थ लगाया जाता है?

    आजीवन निर्वासन के प्रति वर्तमान में आजीवन कारावास अर्थ लगाया [धारा 53 (क)) ]

  2. आईपीसी (IPC) की धारा  53A (DHARA 53A) क्या है ?

    IPC की धारा 53A (DHARA 53A) — निर्वासन के प्रति निर्देश का अर्थ लगाना को बताती है |

  3. निर्वासन के प्रति निर्देश का अर्थ लगाना आईपीसी (IPC) की किस धारा में दिया गया है ?

    IPC की धारा 53A में |

IPC Section 53A — Construction of reference to transportation –

(1) Subject to the provisions of sub-section (2) and sub-section (3), any reference to “transportation for life” in any other law for the time being in force or in any instrument or order having effect by virtue of any such law or of any enactment repealed shall be construed as a reference to “imprisonment for life”.

(2) In every case in which a sentence of transportation for a term has been passed before the commencement of the Code of Criminal Procedure (Amendment) Act, 1955 (26 of 1955), the offender shall be dealt with in the same manner as if sentenced to rigorous imprisonment for the same term.

(3) Any reference to transportation for a term or to transportation for any shorter term (by whatever name called) in any other law for the time being in force shall be deemed to have been omitted.

(4) Any reference to “transportation” in any other law for the time being in force shall –

(a) if the expression means transportation for life, be construed as a reference to imprisonment for life; IPC की धारा 53A

(b) if the expression means transportation for any shorter term, be deemed to have been omitted.

भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –

भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र

भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल

भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]

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