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IPC की धारा 57 | धारा 57 भारतीय दण्ड संहिता | 57 IPC In Hindi

IPC की धारा 57 (DHARA 57) — दण्डावधियों की भिन्ने –

दण्डावधियों की भिन्नों की गणना करने में, आजीवन कारावास को बीस वर्ष के कारावास के तुल्य गिना जाएगा।


IPC की धारा 57 Latest Judgements –

मोहिन्दर सिंह बनाम पंजाब राज्य, 2013 क्रि० लॉ ज0 1559
इस बात की गलत धारणा है कि आजीव कारावास को भुगतते हुए बंदी के पास या त 14 वर्ष के या तो 20 वर्ष के कारावास को पूर्ण करने पर मुक्त किये जाने का आलोप्य अधिकार प्राप्त है। आजीवन कारावास 14 वर्ष या 20 वर्ष या 30 वर्ष के समकक्ष भी नहीं हो सकता है। अपेक्षाकृत अभिप्राय स्वाभाविक सम्पूर्ण जीवन से है।
खोंका उर्फ प्रसन्नता सेन बनाम वी0 के0 श्रीवास्तव एवं अन्य, 2013 क्रि० लॉ ज0 1446 (एस0 सी0)
आईपीसी की धारा 57 में किसी भी प्रकार से 20 वर्ष की अवधि के आजीवन कारावास के दण्ड को सीमित नहीं किया गया है।

IPC की धारा 57 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –

गोपाल (1961) 63 बाम्बे एल० आर० 517 (सु० को० ).
केवल दण्डावधियों को भिन्नों की गणना करने में आजीवन कारावास को बीस वर्ष के कारावास के तुल्य गिना जायेगा।71 किन्तु अन्यथा आजीवन कारावास की सजा अनिश्चित काल के लिये होती है। 
बासप्पा मुदाकप्पा (1959) मैसूर 115.
ऐसे प्रसंग जिनमें दण्डावधियों के भिन्नों की गणना की जाती है, इस संहिता की धारा 116 तथा 511 में पाये जाते हैं। इस धारा को उनके सन्दर्भ में पढ़ा जाना चाहिये। 
के0वी0 चक्को नाम स्टेट आफ केरल, 2004 क्रि०लॉ ज0 481 (खंड न्यायपीठ) (केरल)]
जब तक आजीवन कारावास का लघुकरण सक्षम प्राधिकारी द्वारा नहीं कर दिया जाता तब तक कैदी उसके संपूर्ण जीवन के लिए कारावास को भोगना पड़ता है।

IPC की धारा 57 FAQ

  1. दण्डावधियों की गणना करने में आजीवन कारावास को कितने वर्ष के कारावास से तुल्य माना जाता है ? 

    20 वर्ष तक के कारावास के तुल्य ( DHARA 57) ।

  2. IPC की धारा 57 क्या है?

    IPC की धारा 57 के अनुसार – दण्डावधियों की भिन्नों की गणना करने में, आजीवन कारावास को बीस वर्ष के कारावास के तुल्य गिना जाएगा।

57 IPC In Hindi — Fractions of terms of punishment –

In calculating fractions of terms of punishment, imprisonment for life shall be reckoned as equivalent to [imprisonment] for twenty years.

भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –

भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र

भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल

भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]

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