IPC की धारा 153 — बल्वा कराने के आशय से स्वैरिता से प्रकोपन देना – यदि बल्वा किया जाए – यदि बल्वा न किया जाए –
जो कोई अवैध बात के करने द्वारा किसी व्यक्ति को परिद्वेष से या स्वैरिता से प्रकोपित इस आशय से या यह संभाव्य जानते हुए करेगा कि ऐसे प्रकोपन के पणिामस्वरूप बल्वे का अपराध किया जाएगा,
यदि ऐसे प्रकोपन, के परिणामस्वरूप बल्वे का अपराध किया जाए तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से या दोनों से, और यदि बल्वे का अपराध न किया जाए, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय, और कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है किन्तु यदि अपराध नहीं किया जाता है तो प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है | |
IPC Section 153 — Wantonly giving provocation with intent to cause riot – if rioting be committed – if not committed –
Whoever malignantly, or wantonly, by doing anything which is illegal, gives provocation to any person intending or knowing it to be likely that such provocation will cause the offence of rioting to be committed, shall, if the offence of rioting be committed in consequence of such provocation, be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to one year, or with fine, or with both; and if the offence of rioting be not committed, with imprisonment of either description for a term which may extend to six months, or with fine, or with both.
भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]