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IPC की धारा 2 | धारा 2 भारतीय दण्ड संहिता | IPC Section 2 In Hindi

IPC की धारा 2 — भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड —

भारतीय दंड संहिता की धारा 2 के अनुसार, हर व्यक्ति इस संहिता के उपबन्धों के प्रतिकूल हर कार्य या लोप के लिए जिसका वह भारत के भीतर दोषी होगा, इसी संहिता के अधीन दण्डनीय होगा अन्यथा नहीं।

IPC की धारा 2 Latest Judgement

डॉ० अमित गुलाटी बनाम स्टेट आफ राजस्थान, (राजस्थान) (जयपुर बेंच), 2017 
इस मामले में याचिकाकर्ता और परिवादी दोनों जर्मनी के नागरिक थे। प्रथम सूचना प्रतिवेदन में याचिकाकर्ता को आक्षेपित किया गया है, जहां बताया गया है कि वह जर्मनी में घटित घटनाओं से संबंधित है। परिवादी याचिकाकर्ता ने 11 वर्षों तक जर्मनी में निवास किया है। इसलिए, धारित भारतीय कानून के अनुसार, उसे इस मामले को संज्ञान में लेने और निपटान करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि परिवादी जर्मनी का नागरिक होने के कारण अपने राष्ट्रीयता वाले देश की कानूनी प्रक्रिया का लाभ उठा सकता था। इसके बावजूद, वह भारत में आयी और प्रथम सूचना प्रतिवेदन लिखी गयी है, जिससे स्पष्टतः इसका गर्हित उद्देश्य दिखता है और यह स्पष्ट रूप से भारतीय कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इस प्रकार, मामला अभिखंडित किया गया है।

IPC की धारा 2 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –

मुबारक अली बनाम स्टेट ऑफ बाम्बे, 1957 सु० को0 857
यदि कोई भी विदेशी भारत में अपराध करता है; तो उसे दण्ड संहिता के दाण्डिक उपबन्धों से छूट नहीं प्रदान की जायेगी

IPC की धारा 2 FAQ

अपराध की चार अवस्थाएं कौन सी है?

अपराध की चार अवस्थाएं –
1. आशय, 2 तैयारी 3. प्रयत्न, 4. परिणाम

कौन सा अपराध एक अपूर्ण अपराध है ? 

आपराधिक प्रयत्न |

”अपराध ऐसा दोष है जिसकी अनुशास्ति दण्ड है और जो सामान्य व्यक्ति के द्वारा क्षम्य नहीं है, यदि वह क्षम्य है तो केवल सम्राट के द्वारा”। यह किस विधि शास्त्री ने कहा है? 

कैनी (आउट लाइन्स ऑफ क्रिमिनल लॉ में)।

“अपराध एक ऐसा कृत्य है जो विधि द्वारा निषिद्ध तथा समाज के नैतिक मनोभावों के प्रतिकूल, दोनों ही होता है”। यह विचार किसने अभिव्यक्त किया है ?

स्टीफेन ने।

“किसी कार्य को निषिद्ध करने या समादेशित करने वाली लोकविधि के उल्लंघन में किया गया कार्य अपराध है”। यह कथन किसका है ?

विलियम ब्लैकस्टोन का।

प्राचीन समाजों में दण्ड विधि अपराध विधि नहीं है बल्कि यह दोष विधि है”। यह कथन किसका है?

हेनरी मेन का |

आपराधिक विधि के प्रति क्रियात्मक दृष्टिकोण को किसने उजागर किया है ?

वुल्फेन्डेन समिति ने |

“आशय कार्य का लक्ष्य है, हेतु जिसका स्त्रोत है”। यह कथन किसका है ?

ऑस्टीन का

आईपीसी (IPC) की धारा 2 क्या हैं ?

आईपीसी (IPC) की धारा 2 — भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड —

भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड आईपीसी (IPC) किस धारा में दिया गया हैं ?

आईपीसी (IPC) की धारा 2 में |


IPC Section 2 — Punishment of offences committed within India

Every person shall be liable to punishment under this Code and not otherwise for every act or omission contrary to the provisions thereof, of which he shall be guilty within India.

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