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IPC की धारा 21 | धारा 21 भारतीय दण्ड संहिता | IPC Section 21 In Hindi

IPC की धारा 21 — “लोक सेवक” –

“लोक सेवक” शब्द उस व्यक्ति का द्योतक है जो एतस्मिन् पश्चात् निम्नगत वर्णनों में से किसी में आता है, अर्थात् –

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दूसरा -- भारत की सेना, नौसेना या वायुसेना का हर आयुक्त आफिसर;
तीसरा - हर न्यायाधीश जिसके अन्तर्गत ऐसा कोई भी व्यक्ति आता है जो किन्हीं न्याय निर्णायिक कृत्यों का चाहे स्वयं या व्यक्तियों के किसी निकाय के सदस्य के रूप में निर्वहन करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो;
चौथा - न्यायालय का हर ऑफिसर जिसके अन्तर्गत समापक, रिसीवर या कमिश्नर आता है, जिसका ऐसे आफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह विधि या तथ्य के किसी मामले में अन्वेषण या रिपोर्ट करे, या कोई दस्तावेज बनाए, अधिप्रमाणीकृत करे, या रखे, या किसी सम्पति का भार सम्भाले या उस सम्पति का व्ययन करे, या किसी न्यायिक आदेशिका का निष्पादन करे, या कोई शपथ ग्रहण कराए या निर्वचन करे, या न्यायालय में व्यवस्था बनाए रखे और हर व्यक्ति, जिसे ऐसे कर्तव्यों में से किन्हीं का पालन करने का प्राधिकार न्यायालय द्वारा विशेष रूप से दिया गया हो;
पांचवा - किसी न्यायालय या लोक-सेवक की सहायता करने वाला हर जूरी सदस्य, असेसर या पंचायत का सदस्य।
छटा - हर मध्यस्थ या अन्य व्यक्ति, जिसको किसी न्यायालय द्वारा, या किसी अन्य सक्षम लोक प्राधिकारी द्वारा कोई मामला या विषय, विनिश्चय या रिपोर्ट के लिए निर्देशित किया गया हो।
सातवां - हर व्यक्ति जो किसी ऐसे पद को धारण करता हो, जिसके आधार से वह किसी व्यक्ति को परिरोध में करने या रखने के लिए सशक्त हो।
आठवां - सरकार का हर ऑफिसर जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह अपराधों का निवारण करे, अपराधों की इत्तिला दे, अपराधियों को न्याय के लिए उपस्थित करे, या लोक के स्वास्थ्य, क्षेम या सुविधा की संरक्षा करे।
नवां - हर ऑफिसर जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह सरकार की ओर से किसी सम्पत्ति को ग्रहण करे, प्राप्त करे, रखे, या व्यय करे, या सरकार की ओर से कोई सर्वेक्षण, निर्धारण या संविदा करे, या किसी राजस्व आदेशिका का निष्पादन करे या सरकार के धन सम्बन्धी हितों पर प्रभाव डालने वाले किसी मामले में अन्वेषण या रिपोर्ट करे या सरकार के धन सम्बन्धी हितों से सम्बन्धित किसी दस्तावेज को बनाए, अधिप्रमाणीकृत करे या रखे, या सरकार के धन-सम्बन्धी हितों की संरक्षा के लिए किसी विधि के व्यतिक्रम को रोके।
दसवां - हर ऑफिसर, जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह किसी ग्राम, नगर या जिले के किसी धर्मनिरपेक्ष सामान्य प्रयोजन के लिए किसी सम्पत्ति को ग्रहण करे, प्राप्त करे, रखे, या व्यय करे, कोई सर्वोक्षण या निर्धारण करे, या कोई रेट या कर उद्गृहीत करे, या किसी ग्राम, नगर या जिले के लोगों के अधिकारों के अभिनिश्चयन के लिए कोई दस्तावेज बनाए, अधिप्रमाणीकृत करे या रखे।
ग्यारहवां - हर व्यक्ति जो कोई ऐसा पद धारण करता हो जिसके आधार से वह निर्वाचक नामावली तैयार करने, प्रकाशित करने, बनाए रखने या पुनरीक्षित करने के लिए या निर्वाचन या निर्वाचन के किसी भाग को संचालित करने के लिए सशक्त हो;
बारहवां - हर व्यक्ति, जो –

          (क) सरकार की सेवा या वेतन में हो, या किसी लोक-कर्तव्य के पालन के लिए सरकार से फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता हो।

         (ख) स्थानीय प्राधिकारी की, अथवा केन्द्र, प्रान्त या राज्य के अधिनियम के द्वारा या अधीन स्थापित निगम की अथवा कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 617 में यथा परिभाषित सरकारी कम्पनी की, सेवा या वेतन में हो।

दृष्टान्त

नगरपालिका आयुक्त लोक सेवक है।

स्पष्टीकरण 1 - ऊपर के वर्णनों में से किसी में आने वाले व्यक्ति लोक सेवक हैं, चाहे वे सरकार द्वारा नियुक्त किए गए हों या नहीं।
स्पष्टीकरण 2 - जहाँ कहीं "लोक सेवक" शब्द आए हैं, वे उस हर व्यक्ति के सम्बन्ध में समझे जायेंगे जो लोक सेवक के ओहदे को वास्तव में धारण किए हुए हों, चाहे उस ओहदे को धारण करने के उसके अधिकार में कैसी ही विधिक त्रुटि हो।
स्पष्टीकरण 3 - "निर्वाचन" शब्द ऐसे किसी विधायी, नगरपालिका या अन्य लोक प्राधिकारी के नाते, चाहे वह कैसे ही स्वरूप का हो, सदस्यों के वरणार्थ निर्वाचन का द्योतक  है जिसके लिए वरण करने की पद्धति किसी विधि के द्वारा या अधीन निर्वाचन के रूप में विहित की गई हो।

IPC की धारा 21 से संबंधित महत्वपूर्ण केस

संदीप गनपतराव भदाडे बनाम दी एडिशनल कमिश्नर, (बाम्बे) (नागपुर बेंच), 2017
पंचायत का एक सदस्य आईपीसी की धारा 21 के अर्थ में लोक सेवक माना गया था।
सेण्ट्रल ब्यूरो आफ इनवेस्टीगेशन बैंक सेक्यूरिटीज एवं फ्राड काल बनाम रमेश गेली (एस0 सी०), ए0 आई0 आर0 2016
निजी बैंक के अधिकारीगण जो रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा जारी अनुमति प्राप्त करने वाले अनुज्ञापन के अधीन कार्यरत होते हैं, उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की शुरुआत की जा सकती है।
मम्मल भूटोरिया बनाम वेस्ट बंगाल राज्य, 1977 एस0 सी0 सी0 (क्रि0) 520
अपराध के समय, अभियुक्त का लोक सेवक होना आवश्यक होता है। किसी लोक सेवक को उसकी नौकरी के दौरान किए गए अपराध, सेवा निवृत्ति, पदच्युति या संबंधित कारणों से मुक्ति नहीं दिला सकती है।
एम करुणानिधि बनाम भारत संघ, 1977 एल0डब्ल्यू0 कि0 130 (एफ) बी0)
एक राज्य का मुख्य मंत्री लोक सेवक माना गया |

IPC की धारा 21 FAQ

  1. कौन लोक सेवक नहीं है?

    सहकारी समिति का सचिव, बीमा कम्पनी बीमा सर्वेक्षक I

  2. आईपीसी (IPC) की धारा 21 में किसकी परिभाषा दी गयी हैं?

    IPC की धारा 21 में लोक सेवक की परिभाषा दी गयी हैं|

  3. आईपीसी (IPC) की किस धारा में “लोक सेवक” की परिभाषा दी गयी हैं?

    IPC की धारा 21 में

  4. IPC की धारा 21 में कितने प्रकार के लोक सेवक हैं ?

    IPC की धारा 21 में 12 प्रकार के लोक सेवक का वर्णन हैं |

  5. किस केस में मुख्य मंत्री को लोक सेवक माना गया ?

    एम करुणानिधि बनाम भारत संघ, 1977

भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –

भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र

भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल

भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]

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