IPC की धारा 26 — “विश्वास करने का कारण” –
कोई व्यक्ति किसी बात के “विश्वास करने का कारण” रखता है, यह तब कहा जाता है, जब यह उस बात के विश्वास करने का पर्याप्त हेतुक रखता है, अन्यथा नहीं।
IPC की धारा 26 से संबंधित महत्वपूर्ण केस
बलवन्त सिंह बनाम निदेशक आयकर, ए0 आई0 आर0 1961 दिल्ली 91
न्यायालय को यह देखना चाहिए कि यदि न्याय संबंधी व्यक्ति के पास विश्वास का कारण था, और मामले में परिस्थितियाँ दोषपूर्ण अस्पष्टता को प्रकट करती हैं, तो उस स्थिति में अभियुक्त को अपराध के लिए दोषी ठहराया नहीं जा सकता है।
हामिद अली, ए0आई0 आर0 1961 त्रिपुरा 46
शब्द "विश्वास करने के कारण" संदिग्ध शब्द से ज्यादा प्रभावशाली है।
1970 महा0 लॉ ज0 ( क्रि०) 648
चोरी की गई वस्तु के क्रय संव्यवहार के मामले में यह साबित किया जाना अपेक्षित होगा कि वे परिस्थितियाँ स्पष्टतया अन्तर्ग्रस्त थी जिनमें विश्वास करने का यह पर्याप्त कारण था कि वे वस्तुएँ चोरी की है, या चोरी की हो सकती है । असावधानी या पूछताछ करने में अपनायी गई असतर्कता इस बात के लिए अपेक्षित नहीं होगी कि अभियुक्त के पास यह विश्वास करने का पर्याप्त कारण था कि संव्यवहार के अधीन क्रय की गई वस्तुएँ चोरी की थी।
IPC की धारा 26 FAQ
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“विश्वास करने का कारण” को भारतीय दण्ड संहिता की किस धारा में परिभाषित किया गया है?
IPC की धारा 26 में
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आईपीसी (IPC) की धारा 26 में किसकी परिभाषा दी गयी हैं?
“विश्वास करने का कारण”
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आईपीसी (IPC) में “विश्वास करने का कारण” की क्या परिभाषा है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 26 के अनुसार, कोई व्यक्ति किसी बात के “विश्वास करने का कारण” रखता है, यह तब कहा जाता है, जब यह उस बात के विश्वास करने का पर्याप्त हेतुक रखता है, अन्यथा नहीं।
IPC Section 26 — “Reason to believe” –
A person is said to have “reason to believe” a thing, if he has sufficient cause to believe that thing but not otherwise.
भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]