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IPC की धारा 3 | धारा 3 भारतीय दण्ड संहिता | IPC Section 3 In Hindi

IPC की धारा 3 — भारत से परे किए गए किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड

भारतीय दंड संहिता की धारा 3 के अनुसार, भारत से परे किए गए अपराध के लिए जो कोई व्यक्ति किसी भारतीय विधि के अनुसार विचारण का पात्र हो, भारत से परे किए गए किसी कार्य के लिए उससे इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार ऐसा बरता जाएगा, मानो वह कार्य भारत के भीतर किया गया था।

IPC की धारा 3 से संबंधित महत्वपूर्ण केस

अजय अग्रवाल बनाम भारत संघ, (1994) 

यदि षड्यंत्र भारतवर्ष में कारित किया गया हो और चंडीगढ़ में अपराधों के कारित किए जाने के परिणामस्वरूप छल और धोखाधड़ी जैसे आपराधिक कार्यों का उल्लेख नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इससे अपराध भारतवर्ष में कारित किया गया है और इससे दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 188 के प्रावधानों को लागू किया जा सकता है।
रायमुण्ड जेनी सिवानीय बनाम स्टेट आफ केरल, 2004 क्रि० लॉ ज0 2290 (केरल)
यह अभिकथन किया गया कि अपराध भारतीय क्षेत्र के बाहर विदेशी जलयान में अभियुक्त द्वारा कारित किया गया वहां अभियोजन क्षेत्रीय अधिकारिता के अभाव के कारण अभिखंडित कर दिये जाने योग्य माना गया।

IPC की धारा 3 FAQ

क्या अपराध का आवश्यक तत्व नहीं है?  

हेतु अथवा प्रयोजन (उद्देश्य)। 

यह विचार किस वाद में व्यक्त किया गया कि प्रत्येक संविधि में दुराशय अंतनिर्हित माना जाता है जब तक इसके प्रतिकूल सिद्ध नहीं कर दिया जाता है ?

शेराज बनाम डी रुटजेन में।

सूत्र “नलम क्रिमेन सिने लेगे, नल्ला पोइना सिने लेगे से क्या अभिप्रेत है? 

विधि की अनधिमान्यता (नान एसेसिबिलिटी) अर्थात् वैधानिकता का सिद्धान्ता

आपराधिक दायित्व के दो अतिमहत्वपूर्ण तत्व क्या हैं?

आशय एवं कार्य (फाउलर बनाम पैजेट (1798) 7TR 509) 

आपराधिक दायित्व के इस सिद्धान्त को कि केवल कृत्य ही नहीं दोषपूर्ण मन: स्थिति भी को किसके द्वारा विकसित किया गया?

कॉमन लॉ न्यायालयों के द्वारा |

आपराधिक मनः स्थिति में क्या शामिल नहीं है ?

हैतु (अन्य तत्व आशय, ज्ञान, उपेक्षा)।

कुछ मामलों में अपराध तब भी गठित होता है जबकि कार्य आपराधिक आशय से न किया गया हो। ऐसे मामले कौन है?

कठोर दायित्व के मामले

कौन कठोर दायित्व का अपराध है?

द्विविवाह (जिसमे दुराशय एक आवश्यक तत्व नहीं है)।

कौन सा वाद मन: स्थिति (मेंस रिया) के सिद्धान्त के पुनर्जीवन से सम्बन्धित है?

ब्रेंड बनाम वुड (1946)|

दुराशय के सिद्धान्त को ब्रिटिश कामन लॉ में सर्वप्रथम एक चोरी के मामले में किसके द्वारा लागू किया गया?

कोक सी. जे. के द्वारा

कौन सा वाद दुराशय के सिद्धान्त और सांविधिक अपराध से सम्बन्धित है?

आर. बनाम प्रिंस (न्यायमूर्ति ब्लैकबर्न द्वारा निर्णीत) |

आईपीसी (IPC) की धारा 3 क्या हैं ?

आईपीसी (IPC) की धारा 3 के अनुसार, भारत से परे किए गए अपराध के लिए जो कोई व्यक्ति किसी भारतीय विधि के अनुसार विचारण का पात्र हो, भारत से परे किए गए किसी कार्य के लिए उससे इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार ऐसा बरता जाएगा, मानो वह कार्य भारत के भीतर किया गया था।

भारत से परे किए गए किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड आईपीसी (IPC) की किस धारा में हैं ?

आईपीसी (IPC) की धारा 3 में |


IPC Section 3 — Punishment of offences committed beyond, but which by law may be tried within, India

Any person liable, by any Indian law, to be tried for an offence committed beyond India shall be dealt with according to the provisions of this Code for any act committed beyond India in the same manner as if such act had been committed within India.

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