IPC की धारा 346 — गुप्त स्थान में सदोष परिरोध –
जो कोई किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध इस प्रकार करेगा जिससे यह आशय प्रतीत होता हो कि ऐसे परिरुद्ध व्यक्ति से हितबद्ध किसी व्यक्ति को या किसी लोक सेवक को ऐसे व्यक्ति के परिरोध की जानकारी न होने पाए या एतस्मिन पूर्व वर्णित किसी ऐसे व्यक्ति या लोक सेवक को, ऐसे परिरोध के स्थान की जानकारी न होने पाए या उसका पता वह न चला पाए, वह उस दण्ड के अतिरिक्त जिसके लिए वह ऐसे सदोष परिरोध के लिए दण्डनीय हो, दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण-– इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, जमानतीय और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है । द.प्र. सं. (संशोधन) अधिनियम, 2008 ( क्र. 5 सन् 2009) की धारा 23 (i) द्वारा दिनांक 31-12-2009 से इस धारा के अधीन अपराध को उस व्यक्ति द्वारा शमनीय बनाया गया है जिसे परिरुद्ध किया गया है। उक्त संशोधन के पूर्व यह न्यायालय की अनुमति से उस व्यक्ति द्वारा शमनीय था जिसे परिरुद्ध किया गया है। |
IPC Section 346 — Wrongful confinement in secret –
Whoever wrongfully confines any person in such manner as to indicate an intention that the confinement of such person may not be known to any person interested in the person so confined, or to any public servant, or that the place of such confinement may not be known to or discovered by any such person or public servant as hereinbefore mentioned, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years in addition to any other punishment to which he may be liable for such wrongful confinement.