IPC की धारा 354 — स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग –
जो कोई किसी स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से यह संभाव्य जानते हुए कि तद्द्वारा वह उसकी लज्जा भंग करेगा, उस स्त्री पर हमला करेगा या आपराधिक बल का प्रयोग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
——————————————————–
राज्य संशोधन
छत्तीसगढ़ – धारा 354 में निम्नलिखित परन्तुक अंतःस्थापित किया जाए, अर्थात् :-
“परन्तु यह कि जहां इस धारा के अंतर्गत अपराध किसी रिश्तेदार, अभिभावक या शिक्षक या किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा कारित किया जाता है जिसका पीड़ित व्यक्ति से विश्वास आश्रित या प्राधिकारवान संबंध हों, तो वह दोनों में से किसी भी भांति के कारावास जिसकी अवधि दो वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु सात वर्ष तक की हो सकेगी एवं जुमनि से भी दंडित किया जाएगा।
[देखें दण्ड विधि (छ.ग. संशोधन) अधिनियम, 2013 (क्र. 25 सन् 2015), धारा 3 (दिनांक 21-7-2015 से प्रभावशील) । छ.ग. राजपत्र (असाधारण) दिनांक 21-7-2015 पृष्ठ 777-778 (9) पर प्रकाशित ।]
मध्यप्रदेश – धारा 354 के पश्चात् निम्नलिखित नई धारा अंत:स्थापित की जाए, अर्थात् :-
354-क. किसी स्त्री के कपड़े उतारने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग –
जो कोई किसी स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से या यह संभाव्य जानते हुए कि ऐसे हमले द्वारा वह किसी सार्वजनिक स्थान पर उसके कपड़े उतारकर या उसे नग्न होने के लिए विवश करके, उसकी लज्जा भंग करेगा या करवाएगा , उस स्त्री पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग करेगा या स्त्री पर हमला करने के लिए दुष्प्रेरण या षड़यंत्र करेगा या ऐसा आपराधिक बल प्रयोग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से,जिसकी अवधि एक वर्ष से कम की नहीं होगी, किन्तु जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी दण्डित किया जाएगा और जुमने का भी दायी होगा।
[देखें म.प्र. अधिनियम सं. 14 सन् 2004 की धारा 3 (2-12-2004 से प्रभावशील) | म्र.प्र. राजपत्र (असाधारण) दिनांक 2-12-2004 पेज 1037-1038 पर प्रकाशित |]
अपराध का वर्गीकरण — इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय और कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। द. प्र. सं. (संशोधन) अधिनियम, 2008 (क्र. 5 सन् 2009) की धारा 23 (ii) द्वारा दि. 31-12-2009 से इस धारा के अधीन अपराध को अशमनीय बनाया गया है। उक्त संशोधन के पूर्व यह न्यायालय की अनुमति से उस स्त्री द्वारा शमनीय था जिस पर हमला या जिस पर आपराधिक बल का प्रयोग किया गया था। दण्ड विधि (संशोधन) अधिनियम, 2013 ( क्र. 13 सन् 2013) की धारा 24 (ग) द्वारा दि. 3-2-2013 से इस धारा के अधीन अपराध को अजमानतीय बनाया गया है। उक्त संशोधन के पूर्व यह जमानतीय था। |
IPC Section 354 — Assault or criminal force to woman with intent to outrage her modesty –
Whoever assaults or uses criminal force to any woman, intending to outrage or knowing it to be likely that he will thereby outrage her modesty, shall be punished with imprisonment of either description for a term which shall not be less than one year but which may extend to five years, and shall also be liable to fine.
——————————————————–
STATE AMENDMENTS
Chhattisgarh – In Section 354, the following proviso shall be inserted, namely:- “Provided that where offence is committed under this Section by a relative, guardian or teacher or a person in a position of trust or authority towards the person assaulted, he shall be punishable with imprisonment of either description for a term which shall not be less than two years but which may extend to seven years and shall also be liable to fine.”.
[Vide The Criminal Law (C.G. Amendment) Act, 2013 (No. 25 of 2015), Sec. 3 (w.e.f. 21-7-2015). Published in C.G. Rajpatra (Asadharan) dated 21-7-2015 pages 777-778(9).] IPC की धारा 354
Madhya Pradesh – After section 354, the following new section shall be inserted, namely:-
“354-A. – Assault or use of criminal force to woman with intent to disrobe her –
Whoever assaults or uses criminal force to any woman or abets or conspires to assault or uses such criminal force to any woman intending to outrage or knowing it to be likely that IPC की धारा 354
by such assault, he will thereby outrage or causes to be outraged the modesty of the woman by disrobing or compel her to be naked on any public place, shall be punished with imprisonment of either description for a term which shall not be less than one year but which may extend to ten years and shall also be liable to fine.”
[Vide Madhya Pradesh Act 14 of 2004, sec. 3 (w.e.f. 2-12-2004). Published in M.P. Rajpatra (Asadharan) dated 2-12-2004 at page 1037-1038.]