IPC की धारा 38 — आपराधिक कार्य में संपृक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे –
जहां कि कई व्यक्ति किसी आपराधिक कार्य को करने में लगे हुए या सम्पृक्त हैं, वहां वे उस कार्य के आधार पर विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे।
दृष्टांत
क गम्भीर प्रकोपन की ऐसी परिस्थितियों के अधीन य पर आक्रमण करता है कि य का उसके द्वारा वध किया जाना केवल ऐसा आपराधिक मानव वध है, जो हत्या की कोटि में नहीं होता है। ख जो य से वैमनस्य रखता है, उसका वध करने के आशय से और प्रकोपन से वशीभूत न होते हुए य का वध करने में क की सहायता करता है। यहां यद्यपि क और ख दोनों य की मृत्युकारित करने में लगे हुए हैं, ख हत्या का दोषी है और क केवल आपराधिक मानव वध का दोषी है।
आईपीसी की धारा 38 के प्रमुख अवयव क्या हैं? |
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जहां कि – 1. कई व्यक्ति किसी आपराधिक कार्य को करने में लगे हुए या 2. सम्पृक्त हैं, 3. वे उस कार्य के आधार पर 4. विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे। |
IPC की धारा 38 से संबंधित महत्वपूर्ण केस
भावानन्द बनाम असम राज्य ए० आई० आर० 1977 सु० को० 2252.
तीन अभियुक्तों ने आहत व्यक्ति के ऊपर प्रहार किया, उनमें से दो ने जिस प्रकार अपने हथियारों का प्रयोग किया था उससे स्पष्ट होता था कि उनका आशय उस व्यक्ति की हत्या करना था। तीसरे अभियुक्त ने उसे चोट पहुँचाने के लिये अपनी लाठी का प्रयोग नहीं किया। यह निर्णीत हुआ कि दो अभियुक्त हत्या के दोषी हैं तथा तीसरा धारा 304 भाग 2 के अन्तर्गत दोषी है क्योंकि वह आशय अपराध के सम्पादन में सम्मिलित हुआ था और उसे इस बात का ज्ञान था कि आहत व्यक्ति पर किया जाने वाला प्रहार उसकी मृत्यु कारित कर सकता है यद्यपि उसका आशय हत्या कारित करना नहीं था
सम्राट बनाम वीरेन्द्र कुमार घोष, ए0 आई0 आर0 1925 कल0 56
जहाँ पर कई व्यक्ति किसी आपराधिक कार्य को करने में सम्पृक्त हों वहाँ पर आईपीसी की धारा 38 के अभिप्राय में वे सभी उस कार्य के लिए भिन्न-भिन्न अपराध हेतु दोषसिद्ध ठहराये जायेंगे।
राज्य बनाम भीमा शंकर, 1968 क्रि० लॉ ज0 898
आईपीसी की धारा 38 उस दशा में लागू होती है जहाँ पर संयुक्त रूप से कई व्यक्तियों द्वारा कोई आपराधिक कार्य विभिन्न आशय व ज्ञान रखते हुए पृथक्-पृथक् किया जाता है।
IPC की धारा 38 FAQ
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क्या आपराधिक कार्य में संयुक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे ?
हाँ। IPC की धारा 38 के अंतर्गत- जहाँ कई व्यक्ति किसी आपराधिक कार्य में लगे हुए हैं या सम्प्रक्त है वहाँ वे उस कार्य के आधार पर विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे।
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IPC की धारा 38 क्या है?
IPC की धारा 38 के अनुसार ,आपराधिक कार्य में संपृक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे |
IPC Section 38 — Persons concerned in criminal act may be guilty of different offences –
Where several persons are engaged or concerned in the commission of a criminal act, they may be guilty of different offences by means of that act.
Illustration
A attacks Z under such circumstances of grave provocation that his killing of Z. would be only culpable homicide not amounting to murder. B, having ill-will towards Z and intending to kill him, and not having been subject to the provocation, assists A in killing Z. Here, though A and B are both engaged in causing Z’s death, B is guilty of murder, and A is guilty only of culpable homicide.
भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]