IPC की धारा 388 — मृत्यु या आजीवन कारावास, आदि से दण्डनीय अपराध का अभियोग लगाने की धमकी देकर उद्दापन –
जो कोई किसी व्यक्ति को स्वयं उसके विरुद्ध या किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध यह अभियोग लगाने के भय में डालकर कि उसने कोई ऐसा अपराध किया है, या करने का प्रयत्न किया है, जो मृत्यु से या आजीवन कारावास से या ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डनीय है, अथवा यह कि उसने किसी अन्य व्यक्ति को ऐसा अपराध करने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न किया है, उद्दापन करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा, तथा यदि वह अपराध ऐसा हो जो इस संहिता की धारा 377 के अधीन दण्डनीय है, तो वह आजीवन कारावास से दण्डित किया जा सकेगा।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 388 — Extortion by threat of accusation of an offence punishable with death or imprisonment for life, etc. –
Whoever commits extortion by putting any person in fear of an accusation against that person or any other, of having committed or attempted to commit any offence punishable with death, or with imprisonment for life, or with imprisonment for a term which may extend to ten years or of having attempted to induce any other person to commit such offence, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine; and, if the offence be one punishable under section 377 of this Code, may be punished with imprisonment for life.