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IPC की धारा 4 | धारा 4 भारतीय दण्ड संहिता | IPC Section 4 In Hindi

IPC की धारा 4 — राज्यक्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार –

 इस संहिता के उपबंध-

(1) भारत से बाहर और परे किसी स्थान में भारत के किसी नागरिक द्वारा;

(2) भारत में रजिस्ट्रीकृत किसी पोत या विमान पर, चाहे वह कहीं भी हों, किसी व्यक्ति द्वारा किए गए किसी अपराध को भी लागू हैं।

3) भारत से बाहर और परे किसी स्थान में कोई व्यक्ति भारत में स्थित किसी कम्प्यूटर साधन को लक्ष्य करते हुए अपराध कारित करता है।

स्पष्टीकरण — इस धारा में-

(क) "अपराध" शब्द के अन्तर्गत भारत से बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो, इस संहिता के अधीन दण्डनीय होता;
(ख) "कम्प्यूटर साधन" पद का वही अर्थ होगा जो उसे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 21 ) की धारा 2 की उपधारा (1) के खण्ड (ट) में समनुदिष्ट है।]

[दृष्टांत]

क, जो भारत का नागरिक है उगाण्डा में हत्या करता है। वह " [भारत] के किसी स्थान में, जहां वह पाया जाए, हत्या के लिए विचारित और दोषसिद्ध किया जा सकता है।

IPC की धारा 4 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –

नाजिर मुहम्मद बनाम राज्य, ए0 आई0 आर0 1953 पंजाब 227] 
जहाँ अभियुक्त को विचारण हेतु पकड़कर भारत को सुपुर्द कर दिया जाता है तो उसका यह अभिकथन स्वीकार्य नहीं होगा कि उसे अवैध रूप से विदेश से लाया गया है।
फातिमा बीबी अहमद पटेल बनाम स्टेट आफ गुजरात, 2008 क्रि० लॉ ज० 2065 (एस० सी०) ए0 आई0 आर0 2008 एस0 सी0 2392]
जहां अभियुक्त भारत का नागरिक नहीं था और अपराध भारत के बाहर कुबैत में किया गया वहां उसके संबंध में पारित किया गया आदेश भारतीय दंड संहिता की धारा 4 तथा दं० प्र0 सं0 की धारा 188 के अधीन अवैधानिक माना गया। 

IPC की धारा 4 FAQ

  1. IPC की धारा 4 किससे संबंधित है ?

    IPC की धारा 4 राज्यक्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार से संबंधित है|

  2. आईपीसी (IPC) की धारा 4 में “अपराध” शब्द का अर्थ क्या है ?

    अपराध” शब्द के अन्तर्गत भारत से बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो, इस संहिता के अधीन दण्डनीय होता;

  3. आईपीसी (IPC) की धारा 4 में “कम्प्यूटर साधन“शब्द का अर्थ क्या है ?

    कम्प्यूटर साधन” पद का वही अर्थ होगा जो उसे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 21 ) की धारा 2 की उपधारा (1) के खण्ड (ट) में समनुदिष्ट है।]

  4. क्या भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अन्तर्गत दण्डनीय कोई अपराध भारत के भूमि के बाहर कारित करने वाला कोई भी व्यक्ति भारत के किसी भी न्यायालय में उत्तरदायी होता है ? 

    केवल, यदि वह भारत का नागरिक है, तब हाँ। धारा 4(1) ।

  5. क जो भारत का नागरिक है, युगाण्डा में हत्या करता है। वह दिल्ली में पकड़ा जाता है। हत्या के अपराध के लिए उसे कहाँ विचारित और दोषसिद्ध किया जा सकता है ?

    दिल्ली में। 

  6. ‘अ’ एक भारतीय नागरिक, इंग्लैण्ड में जारकर्म, जो उस देश में अपराध नहीं है, करता है। कथित अपराध का विचारण किस न्यायालय द्वारा किया जा सकता है?

    भारत के किसी स्थान में स्थित न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी के न्यायालय के द्वारा जहाँ अभियुक्त पाया जाता है। 

  7. आईपीसी (IPC) की धारा 4 आपराधिक न्यायालयों को किन मामलों में क्षेत्राधिकार प्रदान करती है? 

    आईपीसी (IPC) की धारा 4 निम्न मामलों में क्षेत्राधिकार प्रदान करती है-
    (1) भारत से बाहर और परे किसी स्थान में भारत के किसी नागरिक द्वारा; और
    (2) भारत में रजिस्ट्रीकृत किसी पोत तथा विमान पर, चाहे वह कहीं भी हो- किसी व्यक्ति द्वारा किये गये अपराधों के मामलों में 


IPC Section 4 –Extension of Code to extra-territorial offences

The provisions of this Code apply also to any offence committed by:

any citizen of India in any place without and beyond India;

any person on any ship or aircraft registered in India wherever it may be.

Explanations

In this section the word “offence” includes every act committed outside India which, if committed in India would be punishable under this Code

Illustrations

A, who is a citizen of India, commits a murder in Uganda. He can be tried and convicted of murder in any place in India in which he may be found

भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –

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