IPC की धारा 407 — वाहक, आदि द्वारा आपराधिक न्यासभंग –
जो कोई वाहक, घाटवाल या भाण्डागारिक के रूप में अपने पास संपत्ति न्यस्त किए जाने पर ऐसी संपत्ति के विषय में आपराधिक न्यासभंग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
अपराध का वर्गीकरण-– इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, अजमानतीय और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है । द.प्र. सं. (संशोधन) अधिनियम, 2008 ( क्र. 5 सन् 2009) की धारा 23 (i) द्वारा दिनांक 31-12-2009 से इस धारा के अधीन अपराध को उस संपत्ति के स्वामी द्वारा शमनीय बनाया गया है जिसके सम्बन्ध में न्यासभंग किया गया । उक्त संशोधन के पूर्व यह न्यायालय की अनुमति से उस संपत्ति के स्वामी द्वारा शमनीय था जिसके संबंध में न्यासभंग किया गया । |
IPC Section 407 — Criminal breach of trust by carrier, etc. –
Whoever, being entrusted with property as a carrier, wharfinger or warehouse-keeper, commits criminal breach of trust in respect of such property, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.