IPC की धारा 408 — लिपिक या सेवक द्वारा आपराधिक न्यासभंग –
जो कोई लिपिक या सेवक होते हुए, या लिपिक या सेवक के रूप में नियोजित होते हुए, और इस नाते किसी प्रकार संपत्ति, या संपत्ति पर कोई भी अख्तयार अपने में न्यस्त होते हुए, उस संपत्ति के विषय में आपराधिक न्यासभंग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, अजमानतीय, उस संपत्ति के स्वामी द्वारा जिसके संबंध में न्यासभंग किया गया, न्यायालय की अनुमति से शमनीय और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 408 — Criminal breach of trust by clerk or servant –
Whoever, being a clerk or servant or employed as a clerk or servant, and being in any manner entrusted in such capacity with property, or with any dominion over property, commits criminal breach of trust in respect of that property, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.