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IPC की धारा 409 | धारा 409 भारतीय दण्ड संहिता | IPC Section 409 In Hindi

IPC की धारा 409 — लोक-सेवक द्वारा या बैंकर, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा आपराधिक न्यासभंग –

जो कोई लोक-सेवक के नाते अथवा बैंकर, व्यापारी, फैक्टर, दलाल, अटर्नी या अभिकर्ता के रूप में अपने कारोबार के अनुक्रम में किसी प्रकार संपत्ति, या संपत्ति पर कोई भी अख्तयार अपने को न्यस्त होते हुए उस संपत्ति के विषय में आपराधिक न्यासभंग करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

राज्य संशोधन

मध्यप्रदेश – धारा 409 के अधीन अपराध “सत्र न्यायालय” द्वारा विचारणीय है ।

[देखें म.प्र. अधिनियम क़मांक 2 सन्‌ 2008 की धारा 4 | म.प्र. राजपत्र (असाधारण) दिनांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाशित ।]

अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, अजमानतीय, अशमनीय और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है|

IPC Section 409 — Criminal breach of trust by public servant, or by banker, merchant or agent –

Whoever, being in any manner entrusted with property, or with any dominion over property in his capacity of a public servant or in the way of his business as a banker, merchant, factor, broker, attorney or agent, commits criminal breach of trust in respect of that property, shall be punished with imprisonment for life, or with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.

STATE AMENDMENT

Madhya Pradesh — Offence under section 409 is triable by “Court of Session”.

[Vide Madhya Pradesh Act 2 of 2008, section 4. Published in M.P. Rajpatra (Asadharan) dated 22-2-2008 page 158-158(1).]

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