IPC की धारा 411 — चुराई हुई संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना –
जो कोई किसी चुराई हुई संपत्ति को, यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह चुराई हुई संपत्ति है, बेईमानी से प्राप्त करेगा या रखेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा ।
अपराध का वर्गीकरण–– इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, अजमानतीय और कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है । द.प्र. सं. (संशोधन) अधिनियम, 2008 ( क्र. 5 सन् 2009) की धारा 23 (i) द्वारा दिनांक 31-12-2009 से इस धारा के अधीन अपराध को चुराई गई संपत्ति के स्वामी द्वारा शमनीय बनाया गया है। उक्त संशोधन के पूर्व यह न्यायालय की अनुमति से चुराई गई संपत्ति के स्वामी द्वारा शमनीय था | |
IPC Section 411 — Dishonestly receiving stolen property –
Whoever dishonestly receives or retains any stolen property, knowing or having reason to believe the same to be stolen property, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, or with fine, or with both.