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IPC की धारा 421 | धारा 421 भारतीय दण्ड संहिता | IPC Section 421 In Hindi

IPC की धारा 421 — लेनदारों में वितरण निवारित करने के लिए सम्पत्ति का बेईमानी से या कपटपूर्वक अपसारण या छिपाना —

जो कोई किसी सम्पत्ति का अपने लेनदारों या किसी अन्य व्यक्ति के लेनदारों के बीच विधि के अनुसार वितरित किया जाना तद्द्वारा निवारित करने के आशय से, या तद्द्वारा संभाव्यतः निवारित करेगा यह जानते हुए उस संपत्ति को बेईमानी से या कपटपूर्वक अपसारित करेगा या छिपाएगा या किसी व्यक्ति को परिदत्त करेगा या पर्याप्त प्रतिफल के बिना किसी व्यक्ति को अन्तरित करेगा या कराएगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा। 

अपराध का वर्गीकरण-– इस धारा के अधीन अपराध, असंज्ञेय, जमानतीय और कोई भी  मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है । द.प्र. सं. (संशोधन) अधिनियम, 2008 ( क्र. 5 सन् 2009) की धारा 23 (i) द्वारा दिनांक 31-12-2009 से इस धारा के अधीन अपराध को उसके द्वारा प्रभावित लेनदारों द्वारा शमनीय बनाया गया है । उक्त संशोधन के पूर्व यह न्यायालय की अनुमति से उसके द्वारा प्रभावित लेनदारों द्वारा द्वारा शमनीय था |

IPC Section 421 — Dishonest or fraudulent removal or concealment of property to prevent distribution among creditors –

Whoever dishonestly or fraudulently removes, conceals or delivers to any person, or transfers or causes to be transferred to any person, without adequate consideration, any property, intending thereby to prevent or knowing it to be likely that he will thereby prevent, the distribution of that property according to law among his creditors or the creditors of any other person, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.

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