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IPC की धारा 423 | धारा 423 भारतीय दण्ड संहिता | IPC Section 423 In Hindi

IPC की धारा 423 — अन्तरण के ऐसे विलेख का, जिसमें प्रतिफल के संबंध में मिथ्या कथन अन्तर्विष्ट है, बेईमानी से या कपटपूर्वक निष्पादन —

जो कोई बेईमानी से या कपटपूर्वक किसी ऐसे विलेख को हस्ताक्षरित करेगा, निष्पादित करेगा, या उसका पक्षकार बनेगा, जिससे किसी संपत्ति का, या उसमें के किसी हित का, अन्तरित किया जाना, या किसी भार के अधीन किया जाना, तात्पर्यित है, और जिसमें ऐसे अन्तरण या भार के प्रतिफल से संबंधित या उस व्यक्ति या उन व्यक्तियों से संबंधित, जिसके या जिनके उपयोग या फायदे के लिए उसका प्रवर्तित होना वास्तव में आशयित है, कोई मिथ्या कथन अन्तर्विष्ट है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।

अपराध का वर्गीकरण-इस धारा के अधीन अपराध, असंज्ञेय, जमानतीय और कोई भी  मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है । द.प्र. सं. (संशोधन) अधिनियम, 2008 ( क्र. 5 सन् 2009) की धारा 23 (i) द्वारा दिनांक 31-12-2009 से इस धारा के अधीन अपराध को उसके द्वारा प्रभावित व्यक्ति द्वारा शमनीय बनाया गया है । उक्त संशोधन के पूर्व यह न्यायालय की अनुमति से उसके द्वारा प्रभावित व्यक्ति द्वारा शमनीय था |

IPC Section 423 — Dishonest or fraudulent execution of deed of transfer containing false statement of consideration –

Whoever dishonestly or fraudulently signs, executes or becomes a party to any deed or instrument which purports to transfer or subject to any charge any property, or any interest therein, and which contains any false statement relating to the consideration for such transfer or charge, or relating to the person or persons for whose use or benefit it is really intended to operate, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.

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