IPC की धारा 430 — सिंचन संकर्म को क्षति करने या जल को दोषपूर्वक मोड़ने द्वारा रिष्टि —
जो कोई किसी ऐसे कार्य के करने द्वारा रिष्टि करेगा, जिससे कृषिक प्रयोजनों के लिए, या मानव प्राणियों के या उन जीवजन्तुओं के, जो संपत्ति हैं, खाने या पीने के, या सफाई के या किसी विनिर्माण को चलाने के जलप्रदाय में कमी कारित होती हो, या कमी कारित होना वह संभाव्य जानता हो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण-– इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, जमानतीय और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है । द.प्र. सं. (संशोधन) अधिनियम, 2008 ( क्र. 5 सन् 2009) की धारा 23 (i) द्वारा दिनांक 31-12-2009 से इस धारा के अधीन अपराध को उस व्यक्ति द्वारा शमनीय बनाया गया है जिसे हानि या नुकसान कारित हुआ है। उक्त संशोधन के पूर्व यह न्यायालय की अनुमति से उस व्यक्ति द्वारा शमनीय था जिसे हानि या नुकसान कारित हुआ है। |
IPC Section 430 — Mischief by injury to works of irrigation or by wrongfully diverting water –
Whoever commits mischief by doing any act which causes, or which he knows to be likely to cause, a diminution of the supply of water for agricultural purposes, or for food or drink for human beings or for animals which are property, or for cleanliness or for carrying on any manufacture, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to five years, or with fine, or with both.