IPC की धारा 474 — धारा 466 या 467 में वर्णित दस्तावेज को, उसे कूटरचित जानते हुए और उसे असली के रूप में उपयोग में लाने का आशय रखते हुए, कब्जे में रखना –
जो कोई किसी दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख को, उसे कूटरचित जानते हुए और यह आशय रखते हुए कि वह कपटपूर्वक या बेईमानी से असली के रूप में उपयोग में लायी जाएगी, अपने कब्जे में रखेगा, यदि वह दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख इस संहिता की धारा 466 में वर्णित भांति का हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा, तथा यदि वह दस्तावेज धारा 467 में वर्णित भांति की हो तो वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
राज्य संशोधन
मध्यप्रदेश – धारा 474 के अधीन अपराध “’सत्र न्यायालय”‘ द्वारा विचारणीय है।
[देखें म.प्र. अधिनियम क्रमांक 2 सन् 2008 की धारा 4. म.प्र. राजपत्र (असाधारण) दिनांक 22-2-2008 पृष्ठ 157-158 पर प्रकाशित ।]
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| यदि वह दस्तावेज भारतीय दण्ड संहिता की धारा 467 मे वर्णित भांति की हो, तो असंज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 474 — Having possession of document described in section 466 or 467, knowing it to be forged and intending to use it as genuine –
Whoever has in his possession any document or electronic record, knowing the same to be forged and intending that the same shall fraudulently or dishonestly be used as genuine, shall, if the document or electronic record is one of the description mentioned in section 466 of this Code, be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine; and if the document is one of the description mentioned in section 467, shall be punished with imprisonment for life, or with imprisonment of either description, for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine. IPC की धारा 474
STATE AMENDMENT
Madhya Pradesh — Offence under section 474 is triable by “Court of Session”.
[Vide Madhya Pradesh Act 2 of 2008, section 4. Published in M.P. Rajpatra (Asadharan) dated 22-2-2008 page 158-158(1).]