IPC की धारा 482 — मिथ्या संपत्ति चिन्ह का उपयोग करने के लिए दण्ड –
जो कोई किसी मिथ्या संपत्ति चिन्ह का उपयोग करेगा, जब तक कि यह साबित न कर दे कि उसने कपट करने के आशय के बिना कार्य किया है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण-– इस धारा के अधीन अपराध, असंज्ञेय, जमानतीय और कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है । द.प्र. सं. (संशोधन) अधिनियम, 2008 ( क्र. 5 सन् 2009) की धारा 23 (i) द्वारा दिनांक 31-12-2009 से इस धारा के अधीन अपराध को उस व्यक्ति द्वारा शमनीय बनाया गया है जिसे ऐसे उपयोग से हानि या क्षति कारित हुई है। उक्त संशोधन के पूर्व यह न्यायालय की अनुमति से उस व्यक्ति द्वारा शमनीय था जिसे ऐसे उपयोग से हानि या क्षति कारित हुई है। |
IPC की धारा 482 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –
IPC की धारा 482 FAQ
IPC Section 482 — Punishment for using a false property mark –
Whoever uses any false property mark shall, unless he proves that he acted without intent to defraud, be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to one year, or with fine, or with both.
भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
- भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
- भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
- भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]