IPC की धारा 486 — कूटकृत संपत्ति चिन्ह से चिन्हित माल का विक्रय –
जो कोई किसी माल या चीजों को स्वयं उन पर या किसी ऐसी पेटी, पैकेज या अन्य पात्र पर, जिसमें ऐसा माल रखा हो, कोई कूटकृत संपत्ति चिन्ह लगा हुआ या छपा हुआ होते हुए बेचेगा या बेचने के लिए अभिदर्शित करेगा या अपने कब्जे में रखेगा जब तक कि वह यह साबित न कर दे कि –
(क) इस धारा के विरुद्ध अपराध न करने को सब युक्तियुक्त पूर्वावधानी बरतते हुए, चिन्ह के असलीपन के संबंध में संदेह करने के लिए उसके पास कोई कारण अभिकथित अपराध करते समय नहीं था, तथा
(ख) अभियोजक द्वारा या उसकी ओर से मांग किए जाने पर, उसने उन व्यक्तियों के विषय में, जिससे उसने ऐसा माल या चीजें अभिप्राप्त की थी, वह सब जानकारी दे दी थी, जो उसकी शक्ति में थी, अथवा
(ग) अन्यथा उसने निर्दोषितापूर्वक कार्य किया था,
वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण-– इस धारा के अधीन अपराध, असंज्ञेय, जमानतीय और कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है । द.प्र. सं. (संशोधन) अधिनियम, 2008 ( क्र. 5 सन् 2009) की धारा 23 (i) द्वारा दिनांक 31-12-2009 से इस धारा के अधीन अपराध को उस व्यक्ति द्वारा शमनीय बनाया गया है जिसे ऐसे उपयोग से हानि या क्षति कारित हुई है। उक्त संशोधन के पूर्व यह न्यायालय की अनुमति से उस व्यक्ति द्वारा शमनीय था जिसका व्यापार या संपत्ति कूटकृत की गई । |
IPC Section 486 — Selling goods marked with a counterfeit property mark –
Whoever sells, or exposes, or has in possession for sale, any goods or things with a counterfeit property mark] affixed to or impressed upon the same or to or upon any case, package or other receptacle in which such goods are contained, shall, unless he proves
(a) that, having taken all reasonable precautions against committing an offence against this section, he had at the time of the commission of the alleged offence no reason to suspect the genuineness of the mark, and
(b) that, on demand made by or on behalf of the prosecutor, he gave all the information in his power with respect to the persons from whom he obtained such goods or things, or IPC की धारा 486
(c) that otherwise he had acted innocently, be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to one year, or with fine, or with both.