IPC की धारा 54 (DHARA 54) — मृत्यु दण्डादेश का लघुकरण –
हर मामले में, जिसमें मृत्यु का दण्डादेश दिया गया हो, उस दण्ड को अपराधी की सम्मति के बिना भी समुचित सरकार इस संहिता द्वारा उपबंधित किसी अन्य दण्ड में लघुकृत कर सकेगी।
धारा 54 आईपीसी के प्रमुख अवयव क्या हैं? |
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हर मामले में,- 1. जिसमें मृत्यु का दण्डादेश दिया गया हो, 2. उस दण्ड को अपराधी की सम्मति के बिना भी , 3. समुचित सरकार , 4. इस संहिता द्वारा उपबंधित किसी अन्य दण्ड में लघुकृत कर सकेगी। |
IPC की धारा 54 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –
शाखी वाली, ए0 आई0 आर0 1954 सु0 को0 278
दण्डादेश के लघुकरण के निमित्त समुचित सरकार की शक्ति तभी उद्भूत हो जाती है जब कि न्यायालय मृत्यु का दण्डादेश देता है, इस धारा द्वारा दी गयी शक्ति स्वविवेकीय मानी जायेगी जो कि राज्य की इच्छा पर निर्भर होगी। आईपीसी की धारा 54 (DHARA 54) दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 433 (क) के अनुरूप है, इस धारा में निविष्ट उपबन्धों के अनुसार समुचित सरकार दण्डादिष्ट व्यक्ति की सम्मति के बिना मृत्यु दण्डादेश तथा भारतीय दण्ड संहिता द्वारा उपबन्धित किसी अन्य दण्ड के रूप में लघुकरण कर सकती है। इस धारा में प्रयुक्त समुचित सरकार का अभिप्राय उसी सरकार से लगाया जायेगा जैसा कि इस संहिता की धारा 55 (क) के अन्तर्गत इस अभिव्यक्ति को परिभाषित किया गया है।
IPC की धारा 54 FAQ
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मृत्यु दण्ड के आदेश को किस धारा के अन्तर्गत (लघुकृत) कम किया जा सकता है?
आईपीसी की धारा 54 सपठित धारा 432 एवं 433 (दण्ड प्रक्रिया संहिता) के अन्तर्गत मृत्यु दण्डादेश को लघुकृत किया जा सकता है।
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IPC की धारा 54 (DHARA 54) क्या है?
IPC की धारा 54 के अनुसार, मृत्यु दण्ड के दण्डादेश को लघुकृत (कम) किया जासकता है|
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मृत्यु दण्डादेश का लघुकरण कौन कर सकता है ?
आईपीसी की धारा 54 के अनुसार मृत्यु दण्डादेश का लघुकरण समुचित सरकार कर सकती है |
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मृत्यु दण्डादेश का लघुकरण करते समय क्या अपराधी की सम्मति आवश्यक है ?
नही , समुचित सरकार अपराधी की सम्मति के बिना भी दण्ड को लघुकृत कर सकेगी |
54 IPC In Hindi — Commutation of sentence of death –
In every case in which sentence of death shall have been passed, the appropriate Government may, without the consent of the offender, commute the punishment for any other punishment provided by this Code.
भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]