IPC की धारा 96 — प्राइवेट प्रतिरक्षा में की गई बातें –
कोई बात अपराध नहीं है, जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में की जाती है।
धारा 96 आईपीसी के प्रमुख अवयव क्या हैं? |
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कोई बात अपराध नहीं है, जो- 1. प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में की जाती है। |
आईपीसी (IPC) की धारा 96 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम पुसू,(1983) क्रि० लॉ ज० 1356 सु० को ०
यह निर्णय दिया गया कि जो व्यक्ति स्वतः आक्रामक (Aggressor) है तथा जो स्वतः अपने ऊपर आक्रमण को आमन्त्रित करता है अपने आक्रामक प्रहार के कारण वह व्यक्ति प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रयोग करने का हकदार नहीं है यदि उसके ऊपर आक्रमण होता है और वह जानबूझकर एक दूसरे व्यक्ति की हत्या कर देता है जिस पर पहले भी प्रहार कर चुका था।
बूटासिंह बनाम पंजाब राज्य ,1991 क्रि.ला.ज. एस.सी.
आक्रमणकर्ताओं को निहत्था करने के लिये उन्हें कितनी चोट पहुँचाना आवश्यक था उसकी नाप तौल करना सम्भव नहीं । अतएव अपीलकर्ता और उसकी पत्नी ने अपनी प्रतिरक्षा में कार्य किया है और वे प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार अर्थात आईपीसी (IPC) की धारा 96 के अधिकारी हैं।
गुरुवचन सिंह बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा, 1974 क्रि० लॉ ज० (एस0 सी0 )
जहाँ पर आक्रामक किसी हथियार से लैस नहीं, अर्थात् निहत्था हो तो उस दशा में सम्बन्धित व्यक्ति को किसी भी प्रकार के प्रतिरक्षा का अधिकार नहीं प्राप्त होगा।
बिन्दावन स्वामी बनाम स्टेट, 1957 क्रि० लॉ ज0 644 :
यदि दोनों पक्षकार शक्ति के परीक्षण के अधीन हों तो उस दशा में वैयक्तिक प्रतिरक्षा अधिकार के प्रयोग का प्रश्न नहीं उत्पन्न होता है।
मदन मोहन पांडे बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, 1991 क्रि0 लॉ ज0 467
आरोपी को कोई चोटे नहीं थी लेकिन उसने अंधाधुंध छ: गोलियाँ चलाई जिससे एक व्यक्ति मारा गया और छः घायल हुए। इनमें उसके ख के भी व्यक्ति शामिल थे। सीधी बात है आरोपी ने स्वरक्षा के अधिकार का अतिक्रमण किया । अतः आरोपी IPC की धारा 96 का बचाव नही ले सकता हैं |
आईपीसी (IPC) की धारा 96 FAQ
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आईपीसी (IPC) की किन धाराओं में प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार सम्बन्धी विधि का प्रावधान किया गया है?
IPC की धारा 96 से 106 तक
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कौन सा निर्णय निजी रक्षा के अधिकार से सम्बन्धित है ?
अमजद खान बनाम म. प्र. राज्य| विश्वनाथ बनाम उ. प्र. राज्य
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आईपीसी (IPC) की धारा 96 प्राइवेट प्रतिरक्षा के बारे में क्या उद्घोष करती है ?
IPC की धारा 96 के अनुसार, कोई बात अपराध नहीं है जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में की जाती है।
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किस प्रकरण में यह निर्णय दिया गया कि -“जो व्यक्ति स्वतः आक्रामक है वह प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रयोग करने का हकदार नहीं होता?
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम पुसू 1983 क्रि.ला.ज. के प्रकरण में।
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लक्ष्मण साहू बनाम उड़ीसा राज्य ,1988 क्रि. ला.ज. (सु.को.) के प्रकरण में उच्चतम न्यायालय ने क्या मत अभिव्यक्त किया है?
“आत्म प्रतिरक्षा का अधिकार केवल ऐसे व्यक्ति को उपलब्ध होता है जिसे किसी आसन्न खतरे से अपने को बचाने के लिए एकाएक तत्काल आवश्यकता पड़ती है और जहां ऐसा खतरा स्वयं उस व्यक्ति द्वारा सृजित नहीं है “।
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किस प्रकरण में उच्चतम न्यायालय ने यह धारित किया कि ” प्राइवेट प्रतिरक्षा के प्रयोग के लिए गणितीय नापतौल सम्भव नहीं है”?
बूटासिंह बनाम पंजाब राज्य ,1991 क्रि.ला.ज. एस.सी. के प्रकरण में।
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आईपीसी (IPC) की धारा 96 क्या है?
IPC की धारा 96 के अनुसार , कोई बात अपराध नहीं है, जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में की जाती है।
IPC Section 96 — Things done in private defence –
Nothing is an offence which is done in the exercise of the right of private defence.
भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]