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धारा 16 किशोर न्याय अधिनियम 2015 | Section 16 JJ Act in hindi 2015 | Section 16 Juvenile Justice Act 2015 in hindi

धारा 16 किशोर न्याय अधिनियम 2015 — जांच के लंबित होने का पुनर्विलोकन

(1) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या मुख्य महानगर. मजिस्ट्रेट, प्रत्येक तीन मास में एक बार बोर्ड के समक्ष लंबित मामलों का पुनर्विलोकन करेगा और बोर्ड को, अपनी बैठकों की आवृत्ति बढ़ाने का निर्देश देगा या अतिरिक्त बोर्डों का गठन करने की सिफारिश कर सकेगा ।

(2) बोर्ड के समक्ष लंबित मामलों की संख्या, ऐसे लंबित रहने की अवधि, लंबित रहने की प्रकृति और उसके कारणों का एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा प्रत्येक छह मास में पुनर्विलोकन किया जाएगा, जो राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष, जो उसका चेयरपर्सन होगा, गृह सचिव, राज्य में इस अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार सचिव और अध्यक्ष द्वारा नामनिर्दिष्ट स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठन के एक प्रतिनिधि से मिलकर गठित होगी ।

(3) बोर्ड द्वारा, तिमाही आधार पर, ऐसे लंबित रहने की सूचना मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट को भी ऐसे प्ररूप में, जो राज्य सरकार द्वारा विहित किया जाए, दी जाएगी ।

(4) जिला मजिस्ट्रेट, जब कभी अपेक्षित हो, किसी बालक के सर्वोतम हित में, सभी पणधारियों से, जिसके अंतर्गत बोर्ड और समिति भी है, कोई जानकारी मांग सकेगा ।


Section 16 Juvenile Justice Act 2015 — Review of pendency of inquiry

(1) The Chief Judicial Magistrate or the Chief Metropolitan Magistrate shall review the pendency of cases of the Board once in every three months, and shall direct the Board to increase the frequency of its sittings or may recommend the constitution of additional Boards.


(2) The number of cases pending before the Board, duration of such pendency, nature of pendency and reasons thereof shall be reviewed in every six months by a high level committee consisting of the Executive Chairperson of the State Legal Services Authority, who shall be the Chairperson, the Home Secretary, the Secretary responsible for the implementation of this Act in the State and a representative from a voluntary or non-governmental organisation to be nominated by the Chairperson. धारा 16 किशोर न्याय अधिनियम 2015


(3) The information of such pendency shall also be furnished by the Board to the Chief Judicial Magistrate or the Chief Metropolitan Magistrate and the District Magistrate on quarterly basis in such form as may be prescribed by the State Government.


1[(4) The District Magistrate may, as and when required, in the best interest of a child, call for any information from all the stakeholders including the Board and the Committee.]

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