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धारा 17 सूचना का अधिकार अधिनियम | Section 17 Right to Information Act in hindi | Section 17 RTI Act in hindi

धारा 17 सूचना का अधिकार अधिनियम राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त का हटाया जाना—

(1) उपधारा (३) के उपबन्धों के अधीन रहते हुए राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या किसी राज्य सूचना आयुक्त को राज्यपाल के आदेश द्वारा साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर उसके पद से तभी हटाया जाएगा जब उच्चतम न्यायालय ने, राज्यपाल द्वारा उसे किए गए किसी निर्देश पर जांच के पश्चात् वह रिपोर्ट दी हो कि यथास्थिति, राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त को उस आधार पर हटा दिया जाना चाहिए।

(2) राज्यपाल, उस राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त को जिसके विरुद्ध उपधारा (1) के अधीन उच्चतम न्यायालय को निर्देश किया गया है ऐसे निर्देश पर उच्चतम न्यायालय की रिपोर्ट की प्राप्ति पर राज्यपाल द्वारा आदेश पारित किए जाने तक पद से निलम्बित कर सकेगा और यदि आवश्यक समझे तो ऐसी जांच के दौरान कार्यालय में उपस्थित होने से प्रतिषिद्ध भी कर सकेगा।

(3) उपधारा (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी राज्यपाल राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या किसी राज्य सूचना आयुक्त को आदेश द्वारा, पद से हटा सकेगा और यथास्थिति राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त —

(क) दिवालिया न्यायनिर्णीत किया गया है; या

(ख) वह ऐसे किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहराया गया है, जिसमें राज्यपाल की राय में नैतिक, अधमता अन्तवर्लित है; या

(ग) वह अपनी पदावधि के दौरान अपने पद के कर्तव्यों से परे किसी वैतनिक नियोजन में लगा हुआ है;

(घ) ज्यपाल की राय में मानसिक या शारीरिक अक्षमता के कारण पद पर बने रहने के अयोग्य है; या

(ड) उसने ऐसे वित्तीय या अन्य हित अर्जित किए हैं, जिनसे राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त के रूप में उसके कृत्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की सम्भावना है।

(4) यदि राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या कोई राज्य सूचना आयुक्त किसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा या उसकी ओर से की गई किसी संविदा या करार से सम्बद्ध या उसमें हितबद्ध है या किसी निगमित कम्पनी के किसी सदस्य को किसी रूप में से अन्यथा और उसके अन्य सदस्यों के राज्य सामान्यतः उसके लाभ में या उससे प्रोदभूत होने वाले किसी फायदे या परिलब्धियों में हिस्सा लेता है तो वह उपधारा (1) के प्रयोजनों के लिए कदाचार का दोषी समझा जाएगा 1


Section 17 Right to Information Act — Removal of State Chief Information Commissioner or State Information Commissioner–

(1) Subject to the provisions of sub-section (3), the State Chief Information Commissioner or a State Information Commissioner shall be removed from his office only by order of the Governor on the ground of proved misbehaviour or incapacity after the Supreme Court, on a reference made to it by the Governor, has on inquiry, reported that the State Chief Information Commissioner or a State Information Commissioner, as the case may be, ought on such ground be removed.


(2) The Governor may suspend from office, and if deem necessary prohibit also from attending the office during inquiry, the State Chief Information Commissioner or a State Information Commissioner in respect of whom a reference has been made to the Supreme Court under sub-section (1) until the Governor has passed orders on receipt of the report of the Supreme Court on such reference.


(3) Notwithstanding anything contained in sub-section (1), the Governor may by order remove from office the State Chief Information Commissioner or a State Information Commissioner if a State Chief Information Commissioner or a State Information Commissioner, as the case may be,–


(a) is adjudged an insolvent; or


(b) has been convicted of an offence which, in the opinion of the Governor, involves moral turpitude; or


(c) engages during his term of office in any paid employment outside the duties of his office; or


(d) is, in the opinion of the Governor, unfit to continue in office by reason of infirmity of mind or body; or


(e) has acquired such financial or other interest as is likely to affect prejudicially his functions as the State Chief Information Commissioner or a State Information Commissioner.


(4) If the State Chief Information Commissioner or a State Information Commissioner in any way, concerned or interested in any contract or agreement made by or on behalf of the Government of the State or participates in any way in the profit thereof or in any benefit or emoluments arising therefrom otherwise than as a member and in common with the other members of an incorporated company, he shall, for the purposes of sub-section (1), be deemed to be guilty of misbehaviour.

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