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धारा 21 घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 | Section 21 Domestic Violence Act in hindi

धारा 21 घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 — अभिरक्षा आदेश

तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में समाहित कुछ भी के होते हुए मजिस्ट्रेट इस अधिनियम के तहत् संरक्षण आदेश के लिए या किसी अन्य अनुतोष के लिए आवेदन-पत्र की सुनवाई के किस भी प्रक्रम पर किसी संतान या संतानों की अभिरक्षा, व्यथित व्यक्ति को दे सकेगा या उस व्यक्ति को दे सकेगा जो उसकी ओर से आवेदन कर रहा हो और विनिर्दिष्ट कर सकेगा, यदि आवश्यक हो, प्रत्यर्थी द्वारा ऐसी संतान या संतानों से भेंट के लिए प्रबन्धों के बारे में :

परन्तु यह तब जबकि मजिस्ट्रेट की यह राय है कि प्रत्यर्थी का भेंट करना संतान या संतानों के हित में नुकसानदायी हो सकेगा तो मजिस्ट्रेट ऐसी भेंट अनुज्ञात करने से इंकार करेगा। 


Section 21 Domestic Violence Act — Custody orders —

Notwithstanding anything contained in any other law for the time being in force, the Magistrate may, at any stage of hearing of the application for protection order or for any other relief under this Act grant temporary custody of any child or children to the aggrieved person or the person making an application on her behalf and specify, if necessary, the arrangements for visit of such child or children by the respondent:



Provided that if the Magistrate is of the opinion that any visit of the respondent may be harmful to the interests of the child or children, the Magistrate shall refuse to allow such visit.

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