धारा 21 मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 — क्षेत्र के निवासियों पर सामूहिक जुर्मानों का अधिरोपण–
(1) (क) यदि राज्य सरकार को यह प्रतीत हो कि किसी क्षेत्र के निवासी या निवासियों का कोई वर्ग या उपवर्ग ऐसे अपराधों के किये जाने से सम्बन्धित है या ऐसे अपराधों के किये जाने को दुष्प्रेरित कर रहा है जिनकी परिणति मृत्यु या घोर उपहति या सम्पत्ति की हानि या उसके नुकसान में या उद्दीपन या फिरौती के व्यवहरण में होती है अथवा होने की सम्भावना है, ऐसे अपराधों के किये जाने से सम्बन्धित व्यक्तियों को संश्रय दे रहा है, या अपराधियों का पता लगाने या पकड़वाने में अपनी शक्ति भर पूरी सहायता नहीं दे रहा है या ऐसे अपराधों के किये जाने से सम्बन्धित तात्विक साक्ष्य दबा रहा है, तो राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा उस क्षेत्र के निवासियों या निवासियों के वर्ग या उपवर्ग पर सामूहिक जुर्माना अधिरोपित कर सकेगी ।
(ख) खण्ड (क) के अधीन सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करने वाला आदेश कम से कम एक ऐसे समाचार-पत्र में, जिसका सम्बन्धित क्षेत्र में परिचालन हो और ऐसी अन्य रीति में, जिसे राज्य सरकार, उस आदेश को सम्बन्धित क्षेत्र के निवासियों की जानकारी में लाने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त समझे, भी प्रकाशित किया जायेगा ।
(2) राज्य सरकार या कोई ऐसा अधिकारी, जो राज्य सरकार द्वारा साधारण या विशेष आदेश द्वारा, इस निमित्त सशक्त किया गया हो, किसी भी ऐसे निवासी को या ऐसे निवासियों के किसी भी वर्ग या उपवर्ग को ऐसे जुर्माने या उसके किसी भाग का भुगतान करने के दायित्व से छूट दे सकेगा ।
(3) जिला मजिस्ट्रेट, ऐसी जांच करने के पश्चात् जैसी कि वह आवश्यक समझे, ऐसे जुर्माने को उन निवासियों के बीच प्रभाजित करेगा जो जुर्माने का भुगतान करने के लिए सामूहिक रूप से दायी हों और ऐसा प्रभाजन ऐसे निवासियों के अपने-अपने साधनों के सम्बन्ध में जिला मजिस्ट्रेट के निर्णय के अनुसार किया जायेगा ।
(4) प्रभाजन करते समय, जिला मजिस्ट्रेट वह भाग नियत कर सकेगा जिसका भुगतान किसी संयुक्त या अविभक्त कुटुम्ब द्वारा किया जाना हो ।
(5) ऐसे जुर्माने का वह भाग, जो किसी निवासी अथवा संयुक्त या अविभक्त कुटुम्ब द्वारा देय होने के रूप में नियत किया गया हो,-
(क) उस रीति में, जो किसी न्यायालय द्वारा अधिरोपित किये गये जुर्मानों की वसूली के लिए दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का सं. 2) द्वारा उपबन्धित की गई है, इस प्रकार वसूल किया जा सकेगा मानो कि ऐसा भाग किसी न्यायालय द्वारा अधिरोपित किया गया जुर्माना हो:
परन्तु राज्य सरकार, दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का सं. 2) की धारा 421 की उपधारा (2) में निर्दिष्ट नियमों के स्थान पर, उस रीति का जिसमें कि उक्त संहिता की उक्त धारा की उपधारा (1) के खण्ड (क) के अधीन वारण्टों का निष्पादन किया जाना हो, विनियमन करते हुए तथा किन्हीं ऐसे दावों के, जो जुर्माने का भुगतान करने के लिए दायी व्यक्ति से भिन्न किसी व्यक्ति द्वारा किसी ऐसी सम्पत्ति के सम्बन्ध में किये गये हों जो कि वारण्ट के निष्पादन में कुर्क की गई हो, संक्षिप्त अवधारण के लिए नियम इस अधिनियम के अधीन बना सकेगी; या
(ख) भू-राजस्व की बकाया के तौर पर वसूल किया जा सकेगा ।
(6) उपधारा (1) के अधीन सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करने वाला आदेश राज्य सरकार द्वारा किसी भी समय प्रतिसंहत या उपांतरित किया जा सकेगा ।