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धारा 25 मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990

धारा 25 मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 — संरक्षित स्थान. –

(1) यदि राज्य सरकार जनसाधारण के हित में किसी स्थान या किसी और वर्ग के स्थानों के सम्बन्ध में यह आवश्यक या समीचीन समझती है कि अप्राधिकृत व्यक्तियों के प्रवेश रोकने के लिए विशेष पूर्वावधानियाँ बरती जानी चाहिए, तो राज्य सरकार, आदेश द्वारा उस स्थान को या यथास्थिति उस वर्ग के प्रत्येक स्थान को संरक्षित स्थान घोषित कर सकेगी, और तदुपरि, उस समय तक जब तक कि वह आदेश प्रवृत्त रहता है, यथास्थिति वह स्थान या उस वर्ग का प्रत्येक स्थान इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये संरक्षित स्थान होगा ।

(2) कोई भी व्यक्ति, राज्य सरकार की या जिला मजिस्ट्रेट की या ऐसे अन्य अधिकारी की, जो राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किया जाये, अनुज्ञा के बिना किसी भी संरक्षित स्थान में प्रवेश नहीं करेगा या उस पर या उसमें नहीं रहेगा या उस पर से नहीं जायेगा या उसके सामीप्य में नहीं घूमेगा ।

(3) जहाँ उपधारा (2) के अनुसरण में किसी व्यक्ति को किसी संरक्षित स्थान में प्रवेश करने, उस पर या उसमें रहने या उस पर से जाने की अनुज्ञा दी जाती है, वहाँ वह व्यक्ति, ऐसी अनुज्ञा के अधीन कार्य करते समय, अपने आचरण को विनियमित करने के लिए ऐसे निदेशों का अनुपालन करेगा जो उस प्राधिकारी द्वारा दिये जायें, जिसने अनुज्ञा दी है ।

(4) यदि कोई व्यक्ति इस धारा के किसी उपबन्ध के उल्लंघन में किसी संरक्षित स्थान में, प्रवेश करेगा या रहेगा, तो ऐसी किन्हीं भी अन्य कार्यवाहियों पर, जो उसके विरुद्ध की जा सकती हों, प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, उसे किसी पुलिस अधिकारी द्वारा या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किये गये किसी अन्य व्यक्ति द्वारा वहाँ से हटाया जा सकेगा ।

(5) यदि कोई व्यक्ति इस धारा के उपबन्धों में से किसी उपबन्ध का उल्लंघन करेगा, तो वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुमनि से, या दोनों से, दण्डनीय होगा ।

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