मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 190 : – असुरक्षित दशा वाले यान का उपयोग किया जाना —
(1) जो कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान में ऐसे मोटर यान या ट्रेलर को, उस समय चलाएगा या चलवाएगा या चलाने देगा जब उस यान या ट्रेलर में ऐसी कोई खराबी है जिसकी उस व्यक्ति को जानकारी है या जिसका पता उसे मामूली सावधानी बरतने पर चल सकता था और खराबी ऐसी है कि उससे यान का चलाया जाना ऐसे स्थान का उपयोग करने वाले व्यक्तियों और यानों के लिए खतरे का कारण हो सकता है, वह [पंद्रह सौ रुपए के] जुर्माने से अथवा उस दशा में जिसमें कि ऐसी खराबी के कारण दुर्घटना हो जाती है जिससे शारीरिक क्षति या सम्पत्ति को नुकसान पहुंचता है, कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या [पांच हजार रुपए के] जुर्माने से, अथवा दोनों से, [और पश्चातवर्ती अपराध के लिए ऐसी अवधि के कारावास से, जो छह मास तक की हो सकेगी या शारीरिक क्षति या संपत्ति के नुकसान के लिए दस हजार रुपए के जुर्माने से दंडनीय होगा ।]
(2) जो कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान में कोई मोटर यान ऐसे चलाएगा या चलवाएगा या चलाने देगा जिससे सड़क सुरक्षा, शोर नियंत्रण और वायु प्रदूषण के संबंध में विहित मानकों का उल्लंघन होता है तो वह प्रथम अपराध के लिए [ऐसे कारावास, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी या ऐसे जुर्माने से जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से और वह तीन मास की अवधि के लिए अनुज्ञप्ति धारण करने के लिए निरर्हित हो जाएगा], तथा किसी द्वितीय या पश्चात्वर्ती अपराध के लिए [ऐसे कारावास जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी या ऐसे जुर्माने से जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से], दंडनीय होगा ।
(3) जो कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान में कोई मोटर यान ऐसे चलाएगा या चलवाएगा या चलाने देगा जिससे ऐसे माल के वहन से संबंधित जो मानव जीवन के लिए खतरनाक या परिसंकटमय प्रकृति का है, इस अधिनियम के या इसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबंधों का उल्लंघन होता है तो वह प्रथम अपराध के लिए [दस हजार रुपए के जुर्माने से दण्डनीय होगा और वह तीन मास की अवधि के लिए अनुज्ञप्ति धारण करने के लिए निरर्हित होगा], या कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, अथवा दोनों से, और किसी द्वितीय या पश्चात्वर्ती अपराध के लिए, [बीस हजार रुपए के] जुर्माने से या कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, अथवा दोनों से, दंडनीय होगा ।
Section 190 of MV Act 1988 :- Using vehicle in unsafe condition —
(1) Any person who drives or causes or allows to be driven in any public place a motor vehicle or trailer while the vehicle or trailer has any defect, which such person knows of or could have discovered by the exercise of ordinary care and which is calculated to render the driving of the vehicle a source of danger to persons and vehicles using such place, shall be punishable with fine [of one thousand five hundred rupees] or, if as a result of such defect an accident is caused causing bodily injury or damage to property, with imprisonment for a term which may extend to three months, or with fine [of five thousand rupees], or with both [and for a subsequent offence shall be punishable with imprisonment for a term which may extend to six months, or with a fine of ten thousand rupees for bodily injury or damage to property].
(2) Any person who drives or causes or allows to be driven, in any public place a motor vehicle, which violates the standards prescribed in relation to road safety, control of noise and air-pollution, shall be punishable for the first offence with [imprisonment for a term which may extend to three months, or with fine which may extend to ten thousand rupees or with both and he shall be disqualified for holding licence for a period of three months] and for any second or subsequent offence with [imprisonment for a term which may extend to six months, or with fine which may extend to ten thousand rupees or with both]. मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 190
(3) Any person who drives or causes or allows to be driven, in any public place a motor vehicle which violates the provisions of this Act or the rules made thereunder relating to the carriage of goods which are of dangerous or hazardous nature to human life, shall be punishable for the first offence [with a fine of ten thousand rupees and he shall be disqualified for holding licence for a period of three months], or with imprisonment for a term which may extend to one year, or with both, and for any second or subsequent offence with fine [of twenty thousand rupees], or with imprisonment for a term which may extend to three years, or with both.