धारा 26 घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 — अन्य वादों और विधिक कार्यवाहियों में अनुतोष-–
(1) धाराओं 18, 19, 20, 21 और 22 के तहत उपलब्ध कोई भी अनुतोष की, व्यथित व्यक्ति और प्रत्यर्थी को प्रभावित करने वाली किसी सिविल न्यायालय, कुटुम्ब न्यायालय या दण्ड न्यायालय के समक्ष किसी विधिक कार्यवाही में भी ईप्सा की जा सकेगी चाहे ऐसी कार्यवाही इस अधिनियम के प्रारम्भ होने के पूर्व या पश्चात् संस्थित की गई थी ।
(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट कोई भी अनुतोष की किसी अन्य अनुतोष, जो व्यथित व्यक्ति सिविल या दण्ड न्यायालय के समक्ष ऐसे वाद या विधिक कार्यवाही में ईप्सा कर सकेगा के साथ और इसके अतिरिक्त ईप्सा की जा सकेगी।
(3) यदि कोई भी अनुतोष इस अधिनियम के तहत् कार्यवाहियों से भिन्न किन्हीं कार्यवाहियों में व्यथित व्यक्ति द्वारा अभिप्राप्त किया जा चुका है तो वह ऐसे अनुतोष के मिलने के बारे में मजिस्ट्रेट को सूचित करने के लिए आबद्ध होगी।
Section 26 Domestic Violence Act — Relief in other suits and legal proceedings —
(1) Any relief available under sections 18, 19,20, 21 and 22 may also be sought in any legal proceeding, before a civil court, family court or a criminal court, affecting the aggrieved person and the respondent whether such proceeding was initiated before or after the commencement of this Act.
(2) Any relief referred to in sub-section (1) may be sought for in addition to and along with any other relief that the aggrieved person may seek in such suit or legal proceeding before a civil or criminal court. धारा 26 घरेलू हिंसा अधिनियम 2005
(3) In case any relief has been obtained by the aggrieved person in any proceedings other than a proceeding under this Act, she shall be bound to inform the Magistrate of the grant of such relief.