धारा 27 घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 — अधिकारिता —
(1) न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी या महानगर दण्डाधिकारी, की न्यायालय, यथास्थिति हो, जिसकी स्थानीय सीमाओं के भीतर —
(क) व्यथित व्यक्ति स्थायी रूप से या अस्थायी रूप से निवास करता है या कोई कारबार करता है या नियोजित है; या
(ख) प्रत्यर्थी निवास करता है या कारबार करता है या नियोजित है; या
(ग) वाद हेतुक पैदा हुआ है;
इस अधिनियम के तहत् संरक्षा आदेश और अन्य आदेश मंजूर करने के लिए और इस अधिनियम के तहत् अपराधों का परीक्षण करने के लिए, सक्षम न्यायालय होगी।
(2) इस अधिनियम के तहत् दिया गया कोई भी आदेश पूरे भारत में प्रवर्तनीय होगा ।
Section 27 Domestic Violence Act — Jurisdiction —
(1) The court of Judicial Magistrate of the first class or the Metropolitan Magistrate, as the case may be, within the local limits of which–
(a) the person aggrieved permanently or temporarily resides or carries on business or is employed; or
(b) the respondent resides or carries on business or is employed; or
(c) the cause of action has arisen, shall be the competent court to grant a protection order and other orders under this Act and to try offences under this Act.
(2) Any order made under this Act shall be enforceable throughout India.