धारा 3 मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 — निर्बन्धन आदेश करने की शक्ति. –
(1) यदि किसी जिला मजिस्ट्रेट का किसी व्यक्ति के सम्बन्ध में यह समाधान हो जाता है कि वह किसी ऐसी रीति में कार्य कर रहा है या उसके किसी ऐसी रीति में कार्य करने की सम्भावना है जिससे राज्य सुरक्षा पर या लोक व्यवस्था बनाये रखने पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, और यह कि उसे इस प्रकार कार्य करने से रोकने के लिए जनसाधारण के हित में यह आवश्यक है कि इस धारा के अधीन आदेश किया जाए, तो जिला मजिस्ट्रेट ऐसा आदेश कर सकेगा, जिसमें,-
(क) उससे यह अपेक्षा की जा सकेगी कि वह ऐसी रीति में ऐसे समयों पर तथा ऐसे प्राधिकारी या व्यक्ति को जैसा कि उस आदेश में विनिर्दिष्ट किया जाये अपने आने जाने की सूचना दे या उसके समक्ष उपस्थित हो या अपने आने-जाने की सूचना भी दे और उपस्थित भी हो ;
(ख) ऐसे व्यक्तियों से, जो कि उस आदेश में उल्लिखित किये जायें, सहयुक्त रहने या उनसे सम्पर्क रखने के सम्बन्ध में उस पर ऐसे निर्बन्धन अधिरोपित किये जा सकेंगे जो उस आदेश में विनिर्दिष्ट किये जायें;
(ग) किसी भी ऐसी वस्तु या वस्तुओं का, जो उस आदेश में विनिर्दिष्ट की जायें, उसके द्वारा कब्जे में रखा जाना या उपयोग में लाया जाना प्रतिषिद्ध या निर्बन्धित किया जा सकेगा।
(2) उपधारा (1) के अधीन किया गया निर्बन्धन आदेश ऐसी कालावधि के लिए प्रवर्तन में रहेगा जो उसमें विनिर्दिष्ट की जाये और जो किसी भी दशा में, उस आदेश की तारीख से एक वर्ष की कालावधि से अधिक नहीं होगी ।